बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जोर पकड़ रहा है। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा है। वहीं, भारत निर्वाचन आयोग ने आंकड़े जारी कर दावा किया है कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.11 प्रतिशत के दस्तावेज पहले ही प्राप्त किए जा चुके हैं।
चुनाव आयोग का बयान – पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर जोर
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बताया कि एक अगस्त 2025 को प्रकाशित ड्राफ्ट लिस्ट में इस बड़ी उपलब्धि को दर्ज किया गया है। आयोग ने कहा कि पिछले छह महीनों में विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक दलों से बातचीत कर पारदर्शी और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार करने का काम किया गया है।
व्यापक परामर्श प्रक्रिया – 4,719 बैठकें आयोजित
प्रेस नोट के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने चुनाव आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी की उपस्थिति में इस पहल की परिकल्पना मार्च 2025 में सीईओ सम्मेलन के दौरान की थी। इसके बाद आयोग ने एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया शुरू की।
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कुल 4,719 संरचित बैठकें आयोजित की गईं।
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इनमें 40 बैठकें सीईओ, 800 बैठकें डीईओ और 3,879 बैठकें ईआरओ स्तर पर हुईं।
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इन बैठकों में 28,000 से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के साथ विशेष बैठकें
आयोग ने मई 2025 में 6 राष्ट्रीय दलों में से 5 के पार्टी प्रमुखों और उनके प्रतिनिधियों से भी सीधी बातचीत की।
इसके अलावा, जुलाई और अगस्त में 17 मान्यता प्राप्त राज्य राजनीतिक दलों के साथ बैठकें की गईं। शेष दलों के साथ परामर्श की प्रक्रिया अभी जारी है।
राजनीतिक दलों के सुझावों को सीधा मंच
चुनाव आयोग ने कहा कि यह पहल पहले के तरीके से अलग है, जब केवल राजनीतिक दलों के प्रतिनिधित्व के आधार पर बैठकें होती थीं। इस बार पार्टी प्रमुखों को सीधे मंच प्रदान किया गया, ताकि वे अपने सुझाव आयोग को व्यक्तिगत रूप से दे सकें। आयोग का मानना है कि यह प्रक्रिया कानूनी ढांचे के तहत चुनावी प्रक्रिया को और मजबूत करेगी।





