बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हुए विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण में चुनाव आयोग को बड़ी सफलता मिली है। बिहार के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ यानी 91.69 प्रतिशत ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने इस उपलब्धि को राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी का परिणाम बताया।
22 लाख मृत, 36 लाख अप्राप्य और 7 लाख डुप्लीकेट
ईसीआई के मुताबिक, 22 लाख मतदाताओं (2.83%) को मृत घोषित किया गया है, जबकि 36 लाख (4.59%) मतदाता ऐसे हैं जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं या संपर्क में नहीं आए। इसके अलावा 7 लाख (0.89%) मतदाताओं का नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज है। इन सभी मामलों की जांच 1 अगस्त तक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) और सहायक ईआरओ द्वारा की जाएगी। सही मतदाताओं को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक की आपत्ति अवधि में फिर से जोड़ा जा सकेगा।
राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी
विशेष मतदाता पुनरीक्षण में राजनीतिक दलों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की संख्या में 105% की वृद्धि हुई, सीपीएम में 1,083% और सीपीआई (माले) में 542% का इजाफा हुआ। बहुजन समाज पार्टी में 185%, जेडीयू में 31%, भाजपा में 3%, आरजेडी में 1% और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी में 27% वृद्धि दर्ज की गई। आयोग ने इस सफलता का श्रेय 38 जिलों के डीईओ, 243 ईआरओ, 2,976 एईआरओ, 77,895 बीएलओ और 12 प्रमुख राजनीतिक दलों को दिया।
1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी
चुनाव आयोग ने 20 जुलाई तक सभी राजनीतिक दलों को मृत मतदाताओं और त्रुटियों वाली सूची उपलब्ध कराई है। 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी। इसके बाद 1 अगस्त से 1 सितंबर तक कोई भी मतदाता या राजनीतिक दल आपत्ति या दावा दर्ज करा सकेगा। अंतिम संशोधित मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।





