बिहार सरकार ने सोमवार को एक बड़ी प्रशासनिक नियुक्ति करते हुए प्रत्यय अमृत को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया। वे 1991 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा के रिटायरमेंट के बाद यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। प्रत्यय अमृत वर्तमान में विकास आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वे स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव जैसे कई अहम पदों पर अपनी दक्षता का परिचय दे चुके हैं।
हर जिले और विभाग में पेश की काम की मिसाल
प्रत्यय अमृत मूल रूप से गोपालगंज के रहने वाले हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रशासनिक क्षमता, ईमानदारी और दूरदर्शी सोच का लोहा मनवाया है। कटिहार के डीएम रहते हुए उन्होंने अस्पतालों में पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (PPP) मॉडल लागू किया। छपरा के डीएम के तौर पर उन्होंने सोनपुर मेले में अश्लीलता पर पाबंदी लगाई और सिनेमाघरों में CCTV कैमरे अनिवार्य कर दिए।
इसके अलावा वे बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के पहले आईएएस अध्यक्ष बने और निगम को वित्तीय संकट से उबारकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचाया। राज्य में सड़कों और फ्लाईओवरों का जाल, हर गांव तक बिजली, और शहरी विकास जैसे अभियानों में उनकी बड़ी भूमिका रही।
प्रधानमंत्री पुरस्कार से हुए सम्मानित
उनके उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने 2011 में व्यक्तिगत श्रेणी में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। वे एकमात्र आईएएस अधिकारी हैं जिन्हें यह पुरस्कार व्यक्तिगत श्रेणी में मिला। उन्होंने दुमका में प्रशिक्षण के दौरान संताली भाषा सीखी और सिमडेगा में जुआ रैकेट का भंडाफोड़ भी किया।
नई दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रह चुके अमृत ने निर्धारित समय से छह महीने पहले ही वह पोस्ट छोड़ दी थी ताकि बिहार में काम जारी रख सकें। यह उनकी सेवा भावना और राज्य के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
ईमानदार छवि, शिक्षाविद परिवार से ताल्लुक
58 वर्षीय प्रत्यय अमृत की गिनती बिहार के ईमानदार और सादा जीवन जीने वाले अधिकारियों में होती है। वे विवादों से दूर रहते आए हैं। उनके पिता रिपुसूदन श्रीवास्तव, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर थे और मां कविता वर्मा भी शिक्षिका थीं।
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में टॉप किया और श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में लेक्चरर बनने का ऑफर भी मिला, लेकिन उन्होंने यूपीएससी की राह चुनी और दूसरे प्रयास में सफलता पाई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद अफसरों में उनकी गिनती होती है, और अब उन्हें बिहार की प्रशासनिक कमान सौंपी गई है।





