ओवैसी का सीमांचल पर तीखा प्रहार, जदयू-राजद पर वादों का आरोप; बोले- मुस्लिम उपमुख्यमंत्री का हक

ओवैसी ने बिहार की राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि तीन फीसदी आबादी वाले समुदाय को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, तो 20 फीसदी मुस्लिम आबादी को यह हक क्यों नहीं? सभा में उनके इस बयान पर भीड़ ने जोरदार नारे लगाए।

किशनगंज के टेढ़ागाछ में बुधवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनावी रैली में बिहार की सियासत पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने जदयू और राजद को निशाना बनाते हुए कहा कि सीमांचल के लोगों को चुनाव के समय ही याद किया जाता है, लेकिन विकास के नाम पर 35 सालों में सिर्फ खोखले वादे मिले। ओवैसी ने आरोप लगाया, “15 साल राजद की सरकार रही, 20 साल नीतीश कुमार के राज में, फिर भी हमारा इलाका पिछड़ा रहा। सड़कें टूटी, अस्पताल बेहाल, कॉलेज तो हैं लेकिन पढ़ाई नाम की चीज नहीं।”

ओवैसी ने बिहार की राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि तीन फीसदी आबादी वाले समुदाय को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, तो 20 फीसदी मुस्लिम आबादी को यह हक क्यों नहीं? सभा में उनके इस बयान पर भीड़ ने जोरदार नारे लगाए। उन्होंने जोर देकर कहा, “हम किसी का हक नहीं छीनना चाहते, बस बराबरी की मांग कर रहे हैं। बिहार की तरक्की में मुसलमानों का बराबर योगदान है, तो सियासी हिस्सेदारी भी बराबर मिलनी चाहिए।

सीमांचल की समस्या बनी चुनावी मुद्दा

सीमांचल की समस्याओं को चुनावी मुद्दा बनाते हुए ओवैसी ने बाढ़, बुनियादी ढांचे की कमी और विकास की अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हर साल बाढ़ से लोग घर-बार खो देते हैं, लेकिन सरकार सिर्फ सर्वे कराती है। पटना और आसपास के जिलों में कॉलेज, अस्पताल और स्टेडियम बने, लेकिन सीमांचल अधूरा ही रहा। ओवैसी ने वादा किया कि एआईएमआईएम को मौका मिला तो सीमांचल को बिहार का सबसे विकसित क्षेत्र बनाया जाएगा।

ओवैसी की रैली ने सीमांचल की राजनीति में लाया नया मोड़

ओवैसी की इस रैली ने सीमांचल की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। उन्होंने कहा कि अब सीमांचल के लोग खुद अपनी तकदीर लिखेंगे, वादों के जाल में नहीं फंसेंगे। बिहार चुनाव 2025 में मुस्लिम वोट बैंक और क्षेत्रीय मुद्दे अब गर्मागर्म साबित हो रहे हैं, जो महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए चुनौती हैं।


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