बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण से नाराज नेताओं की बगावत ने सभी प्रमुख दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा, जदयू, राजद और हम समेत एनडीए व महागठबंधन के दर्जनों दिग्गज निर्दलीय मैदान में उतर आए हैं। इनमें से कई की स्थानीय पकड़ इतनी मजबूत है कि वे अपने ही दल के अधिकृत उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चार दर्जन से अधिक सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिससे जीत-हार का गणित बिगड़ने का खतरा मंडरा रहा है।
राजद ने बगावत की आंधी को रोकने के लिए 27 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इनमें पूर्व विधायक छोटे लाल राय अब जदयू के टिकट पर परसा से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि तीन अन्य ने भाजपा जॉइन कर ली। महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितू जायसवाल परिहार से, सरोज यादव बड़हरा से और विधायक मोहम्मद कामरान गोविंदपुर से निर्दलीय मैदान में हैं। जगदीशपुर, नरपतगंज, चिरैया, चेरिया बरियारपुर समेत 15 से अधिक सीटों पर राजद के बागी अपने ही प्रत्याशी को चुनौती दे रहे हैं।
बागियों ने चलाया निष्कासन का डंडा
भाजपा में गृह मंत्री अमित शाह की मनौव्वल से कुछ बागी नामांकन वापस ले चुके हैं, लेकिन कई अभी भी डटे हुए हैं। जदयू और हम ने भी अपने-अपने बागियों पर निष्कासन का डंडा चलाया है। हम के छह निष्कासित नेता घोसी, जहानाबाद, बोधगया, समस्तीपुर, मैरवा और कस्बा से निर्दलीय लड़ रहे हैं। लोजपा के रविशंकर प्रसाद भी सूर्यगढ़ा से बागी तेवर अपनाए हुए हैं। पार्टियां बैनर इस्तेमाल पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे रही हैं।
अधिकांश बागी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बागी वोट काटकर विरोधी खेमे को फायदा पहुंचा सकते हैं। मनाने का अंतिम दौर चल रहा है, लेकिन अधिकांश बागी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं। परिणाम चाहे जो हों, ये बागी कई सीटों पर रोचक मोड़ ला रहे हैं और सत्ताधारी गठबंधन के साथ-साथ विपक्षी महागठबंधन की रणनीति को चुनौती दे रहे हैं।





