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Mon, Dec 8, 2025

चिराग पासवान की रणनीति से BJP अंदरखाने में चिंतित, नेतागण कर सकते हैं बैठक

Written by:Deepak Kumar
चिराग पासवान की रणनीति से BJP अंदरखाने में चिंतित, नेतागण कर सकते हैं बैठक

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बयान एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के लिए सिरदर्द बन गए हैं. कभी वे नीतीश कुमार सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं, तो कभी कैबिनेट मंत्री होते हुए भी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कहकर गठबंधन में नेतृत्व को लेकर भ्रम पैदा कर देते हैं. सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही चिराग पासवान की बीजेपी नेतृत्व से मुलाकात होगी, जिसमें उन्हें साफ संदेश दिया जाएगा कि चुनाव के समय गठबंधन की एकजुटता और नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठना चाहिए.


बीजेपी की रणनीति – एक सुर में बोलने का दबाव

बीजेपी का मानना है कि बिहार में चुनावी मुकाबला बेहद करीबी होता है, जहां कुछ हजार वोटों का अंतर परिणाम बदल सकता है. ऐसे में एनडीए के सभी नेताओं को एक सुर में बोलना जरूरी है. पार्टी पहले भी चिराग को संयम बरतने की सलाह दे चुकी है, लेकिन इस बार उन्हें दो टूक शब्दों में यह बात कही जाएगी. बीजेपी का आकलन है कि चिराग के बयान विपक्षी महागठबंधन को नीतीश सरकार पर हमला करने का मौका देते हैं, जिससे जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होती है.


एनडीए की एकजुटता दिखाने की कोशिश

गठबंधन की मजबूती दिखाने के लिए जमीन पर लंबे समय से काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों को एनडीए की ताकत के तौर पर पेश किया जाता है. जिलों में भी गठबंधन के नेताओं ने संयुक्त कार्यक्रम किए हैं. एनडीए का संदेश साफ है कि सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार गठबंधन के होंगे, चाहे वे बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी, आरएलपी या हम पार्टी से हों. सीट बंटवारे का फार्मूला लगभग तय है और चुनाव की घोषणा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा. हालांकि टिकट बंटवारे में कुछ बगावत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.


चिराग के तेवर – फायदा या नुकसान?

चिराग पासवान की आक्रामक शैली को लेकर गठबंधन में मिली-जुली राय है. जानकार मानते हैं कि यह दोधारी तलवार है. एक ओर यह पासवान वोटरों को एकजुट रखने और समर्थकों में जोश भरने का काम करती है, लेकिन दूसरी ओर जेडीयू के नेताओं को यह पसंद नहीं आती, क्योंकि इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पर असर पड़ता है. रामविलास पासवान के समय से ही जेडीयू और एलजेपी के रिश्ते सहज नहीं रहे हैं और बीजेपी बीच का रास्ता निकालती रही है. इस बार भी यह जिम्मा बीजेपी के कंधों पर है.


विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें

चिराग पासवान के समर्थक दावा करते हैं कि वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. हालांकि चिराग खुद कहते हैं कि इसका फैसला पार्टी करेगी. राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि कैबिनेट मंत्री होते हुए वे विधानसभा चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा हो सकती है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी कोई संभावना नहीं है, क्योंकि एनडीए पहले ही साफ कर चुका है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा.


ब्रांड नीतीश पर बीजेपी का भरोसा

बीजेपी का मानना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है. ताज़ा सर्वे भी इसी बात की पुष्टि करते हैं. पार्टी नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर विपक्ष के हमले उल्टे असर डाल सकते हैं, क्योंकि जनता ऐसे मुद्दों को पसंद नहीं करती. बीजेपी चाहती है कि गठबंधन में कोई भी नेता ऐसा बयान न दे, जिससे “ब्रांड नीतीश” को नुकसान पहुंचे और चुनावी एकजुटता पर असर पड़े.