बिहार के चंपारण जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्थापित होने जा रहा है। जिसका वजन 210 मीट्रिक टन और ऊंचाई 33 फीट है। इसकी सबसे खास बात ये है कि एक ही पत्थर पर इस शिवलिंग को आकार दिया गया है। इसे तमिलनाडु के महाबलीपुरम जिले में बनाया गया है। जिसे अब 2300 किलोमीटर दूर बिहार के चंपारण जिले में लाया जा रहा है। जिसकी स्थापना रामयण मंदिर में की जाएगी।
बता दें कि इस विराट शिवलिंग को बनाने में 10 साल लग गए हैं। जिस रामायण मंदिर में इसकी स्थापना होनी है उस मंदिर का शिलान्यास 20 जून 2023 को किया गया था। इस मंदिर का निर्माण बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के केसारिया और चकिया के बीच जानकीनगर में हो रहा है। जो पटना से करीब 110 किलोमीटर है। इस मंदिर में रामायण का चित्रण भी किया गया है।
बिहार कब पहुंचेगा शिवलिंग?
मंदिर प्रशासन के अनुसार, 15 दिसंबर तक शिवलिंग अपने निर्धारित स्थान पर पहुंच जाएगा। वहीं इसकी स्थापना की बात करें तो जनवरी–फरवरी 2026 के बीच विधि विधान से मंदिर परिसर में इसकी स्थापना हो जाएगी। शिवलिंग को सड़क मार्ग से 96 चक्का वाले ट्रक द्वारा तमितनाडु से चंपारण लाया जा रहा है।
दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग
आकार और वजन के आधार पर दुनिया के किसी भी मंदिर में स्थापित होने वाला सबसे बड़ा शिवलिंग माना जा रहा है। इसके स्थापित होते ही चंपारण समेत पूरे बिहार की सूरत बदल जाएगी। देखा जाए तो धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रख रहा है। इसके स्थापित होने के बाद विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में गिने जाने वाले विराट रामायण मंदिर की भव्यता और बढ़ जाएगी।
कैसा है रामायण मंदिर?
बिहार की धरती पर बने रहे इस विशाल मंदिर को अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। इसके साथ ही रामायण की पूरी कहानी को भी आधुनिक और भव्य रूप में दर्शाया जाएगा। अगर इस मंदिर के निर्माण की बात करें तो इसे महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा बनवाया जा रहा है।
रामायण मंदिर का प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी, शिवलिंग, गर्भ गृह का पाइलिंग (नींव) आदि का काम पूरा हो गया है। आकार में यह मंदिर 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा। इसे 90 से 95 एकड़ क्षेत्र में स्थिपित किया जाएगा। इसमें कुल 18 शिखर और 22 मंदिर होंगे और मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट, चार शिखर की ऊंचाई 180 फीट, एक शिखर की ऊंचाई 135 फीट, आठ शिखर की ऊंचाई 108 फीट और एक शिखर की ऊंचाई 90 फीट होगी। मंदिर की दीवारों और पिलरों पर हिंदू देवी देवताओं की कलाकृतियां बनाई गईं हैं। इसके साथ ही रामायण की चौपाईयों को भी दर्शाया गया है।





