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Sun, Dec 21, 2025

Akhilesh Yadav का भाजपा सरकार पर हमला, पौधरोपण और गुजरात मॉडल पर उठाए सवाल

Written by:Deepak Kumar
Published:
Akhilesh Yadav का भाजपा सरकार पर हमला, पौधरोपण और गुजरात मॉडल पर उठाए सवाल

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला है। बुधवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने सरकार की कई योजनाओं और कामकाज पर सवाल उठाए। सबसे पहले उन्होंने सरकार के पौधरोपण अभियान पर सवाल खड़े किए।

अखिलेश ने कहा

अखिलेश ने कहा कि अगर 1,000 एकड़ में 1.30 लाख पेड़ लगाए जा सकते हैं, तो फिर 200 करोड़ पेड़ लगाने के लिए जमीन कहां है? उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का पौधरोपण अभियान सिर्फ एक इवेंट बनकर रह गया है। उन्होंने दावा किया कि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर जो पेड़ लगे हैं, वे समाजवादी सरकार के समय में लगाए गए थे, और अब वही काम दोहराया जा रहा है, कोई नया प्रयास नहीं हो रहा।

समाजवादी पार्टी की सरकार दोबारा बनेगी

उन्होंने राजभवन के पास लगे क्रोसिया के पेड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि वह भी सपा सरकार की ही देन हैं। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने कहा कि जब समाजवादी पार्टी की सरकार दोबारा बनेगी, तो ‘यश भारती’ सम्मान फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने प्रदेश के प्रतिष्ठित और प्रतिभाशाली लोगों का सम्मान छीन लिया है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने धावक राजा यादव ‘टार्जन’ का स्वागत किया और वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी को जन्मदिन की बधाई भी दी। इसके साथ ही उन्होंने मंत्री नंद गोपाल नंदी के लेटर बम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सरकार के अंदर जारी खींचतान का संकेत है।

भाजपा पर कटाक्ष किया

गुजरात पुल हादसे को लेकर भी उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “यही है गुजरात मॉडल, जितनी जल्दी समझ जाओ, उतना बेहतर।” इसके साथ ही उन्होंने गोरखपुर लिंक रोड और लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स पर खर्च हो रही भारी रकम पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक सड़क पर 7,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, और पूर्वांचल से आगरा को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट पर 4,000 करोड़ की लागत आ रही है।

अखिलेश यादव की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आने वाले चुनावों को देखते हुए विपक्ष की सक्रियता और सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखी जा रही है।