किसान आंदोलन के समर्थन में चल रहे धरने पर हमला, अचानक आये लोगों ने मचाया उपद्रव

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर के फूलबाग चौराहे पर पिछले एक महीने से किसान आंदोलन (Farmers Protest) के समर्थन में चल रहे शांति पूर्ण धरने पर आज कुछ लोगों ने हमला कर दिया। हाथ में तिरंगा लिए, देश भक्ति से जुड़े नारे लगा रहे लोग एक बैनर लिए थे जिस पर लिखा था हम कृषि कानूनों (Agricultural Laws) का समर्थन करते हैं। खास बात ये है कि आधे घंटे से भी ज्यादा शहर के व्यस्त चौराहे पर हंगामा होता रहा और थोड़ी दूर पर मौजूद पुलिस (Police) वहाँ नहीं पहुंची। घटना के बाद धरने में शामिल लोगों ने  सरकार के इशारे पर की गई कार्रवाई बताया और उपद्रवियों की गिरफ्तारी की मांग की।

कृषि कानूनों (Agricultural Laws) के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ग्वालियर के फूलबाग चौराहे पर पिछले 31 दिनों से धरना चल रहा है। माकपा की अगुआई में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर के नीचे बहुत से दल और किसान पिछले 31 दिनों से धरना दे रहे हैं। रविवार की शाम अचानक धरने में बैठे लोगों पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। करीब सौ की संख्या में आये कुछ लोग आक्रोशित हो गए। हाथ में तिरंगा लिए आये लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। वे अपने हाथ में क्रांतिकारी हिंदू दल का बैनर लिए हुए थे उन्होंने धरना दे रहे लोगों पर अचानक हमला कर दिया। आरोप है कि उपद्रवी लोगों ने सरदार भगत सिंह की तस्वीर फाड़ दी, बाबा साहब का बैनर फाड़ दिया। धरने के टेंट को आग लगाने की कोशिश की। ये लोग खुद को किसान बिलों का समर्थक बता रहे थे और किसान बिल समर्थन में नारे लगा रहे थे।

अचानक हुए हमले का धरने पर बैठे लोगों ने भी जवाब दिया। खास बात ये है कि उपद्रवी तत्व आधे घंटे से ज्यादा समय तक बीच चौराहे पर उत्पात मचाते रहे लेकिन पास में ही खड़ी पुलिस की FRV वहाँ नहीं पहुंची। धरना दे रहे लोगों ने आरोप लगाया है कि सरकार के इशारे पर भाजपा और RSS के लोगों ने यहाँ उपद्रव किया है, लोगों को जातिगत गालियाँ दी हैं, महिलाओ से अभद्रता की है। इनपर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए और इन्हें गिरफ्तार करना चाहिए। उधर मौके पर पहुंचे एडिशनल एसपी सतेंद्रसिंह तोमरों ने कहा है कि उपद्रवियों की पहचान की जायेगी और पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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