ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय भानु अथैया का निधन, लंबे समय से चल रही थी बीमार

Gaurav Sharma
Published on -
bhanu athaiya demise

मुंबई, डेस्क रिपोर्ट। भारत की मशहूर कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया (India’s famous costume designer Bhanu Athaiya)  जिनका पूरा नाम भानुमति अण्णासाहेब राजोपाध्याय था उनका गुरुवार को निधन (demise) हो गया है। भानु अथैया (Bhanu Athaiya) काफी लंबे वक्त से बीमार चल रही थी। कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया के निधन की जानकारी न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (Press Trust of India) द्वारा दी गई। पीटीआई ने ट्वीटर के जरिए ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘भारत की पहली ऑस्कर विजेता कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया, ये उनकी बेटी का कहना है’

बता दें कि कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय थी। भानु अथैया ने रिचर्ड एटनबरो (Richard Attenborough) की फिल्म गांधी (gandhi) के लिए साल 1983 में ऑस्कर अवार्ड अपने नाम किया था। भानु अथैया ने आमिर खान (Aamir khan) स्टारर फिल्म लगान (lagaan) और स्वर्गीय अभिनेत्री श्रीदेवी (late Sridevi) की फिल्म चांदनी के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किए थे।

 

बता दें कि भानु अथैया ने अपने करियर की शुरआत साल 1956 में सीआइडी फिल्म से की थी। भानु के हुनर को असपी पहचान फिल्म गांधी ने दिलाई थी। भानु अथैया ने राज कपूर, गुरु दत्त, आशुतोष गोवारिकर, यश चौपड़ा जैसे निर्देशकों के साथ काम किया है।भानु अथैया ने ना केवल बॉलीवुड (bollywood) में बल्कि हॉलीवुड (hollywood) में भी काम किया है। 100 से ज्यादा बॉलिवुड फिल्मों में भानु अथैया ने बतौर कॉस्टयूम डिजाइनर काम किया था।

कॉस्टयूम डिजाइनर भानु अथैया ने आमिर खान की लगान और शाहरुख खान की स्वदेस फिल्म में आखिरी बार काम किया था। 91 साल की उमर में भानु अथैया ने अपनी आखिरी सास अपने घर पर ली। भानु अथैया के निधन के बाद से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News