पितृ पक्ष में भूमिपूजन : ज्योतिषी बोले- ये अनुचित, कार्य पूर्ण होने में होती है देरी, कांग्रेस ने भी उठाये सवाल

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश (MP) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) न चुनावों से पहले ग्वालियर चंबल की उन विधानसभाओं को करोड़ों की सौगात दे रहे हैं जहाँ चुनाव होना है। कांग्रेस इसे लेकर लगातार निशाना साध रही है। अब कांग्रेस ने पितृ पक्ष  में हो रहे भूमिपूजन पर भी सवाल उठाये हैं वहीं ज्योतिषी भी इसे अनुचित बता रहे हैं। ज्योतिषियों (Astrologers) का कहना है कि पितृ पक्ष (Pitru Paksh:) में कोई भी शुभ कार्य वर्जित है और यदि फिर भी होते हैं तो उसका लाभ मिलने में देरी होती है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan), राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Rajya Sabha MP Jyotiraditya Scindia) और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) के साथ 10 सितंबर से 13 सितंबर तक ग्वालियर चंबल संभाग के दौरे पर हैं। इस दौरान वे 12 ऐसी विधानसभाओं में करोड़ों के विकास कार्यों के लिए भूमिपूजन और लोकार्पण करेंगे जहाँ उप चुनाव होना है। हालांकि भाजपा इसे अपनी विकास की एक सतत प्रक्रिया बता रही है लेकिन कांग्रेस इस पर सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं ग्वालियर चंबल संभाग के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा (KK Mishra, state spokesperson and media in-charge of Gwalior Chambal division) ने ट्वीट कर निशाना साधा है। मिश्रा ने लिखा “आज से ग्वालियर चंबल के उपचुनाव वाले क्षेत्रों में कभी भी पूरे न होने वाले कई विकास कार्यों का भूमिपूजन करेंगे घोषणा वीर शिवराज भाषणबाज महाराज। महाराज आप भी केंद्र में 17 साल मंत्री, सांसद थे, एक भी बड़ा विकास कार्य बता दीजिये, सिवाय जमीनों के कब्जे के? इसके अलावा केके मिश्रा ने पितृ पक्ष में कराये जा रहे भूमिपूजन पर भी सवाल उठाये हैं उन्होंने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा ” तथाकथित हिंदू वीर श्राद्ध पक्ष में विकास कार्यों की शुरुआत कर अपना चुनावी भय सार्वजनिक कर रहे हैं, बेमेल जोड़ी वाले ये अवसरवादी नेता यदि अस्पतालों और खेतों में दम तोड़ रहे गरीबों की सुध लेते तो बेहतर होता, शवराज और श्रीअंत को इन दिवंगत आत्माओं का अभिशाप रसातल मे जरूर लेकर जायेगा।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)