भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) में शिवराज सरकार (Shivraj government) ने नियम में बड़ा फेर बदल किया है। दरअसल वित्तीय अनियमितता (financial irregularity) की पड़ताल के बाद अब शिवराज सरकार ने सहकारी बैंकों (co-operative banks) के लेन-देन पर नए नियम लागू करने शुरू कर दिए हैं। दरअसल सरकारी बैंकों को अब दो लाख से अधिक का लेनदेन से पहले अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। झाबुआ, ग्वालियर, शिवपुरी सहकारी बैंकों में अनियमितता उजागर होने के बाद सहकारिता विभाग द्वारा यह नई व्यवस्था तैयार की गई है।
सहकारी बैंकों के किसी भी शाखा को ₹2 लाख से अधिक की राशि किसी भी खाते में हस्तांतरित करने से पहले मुख्यालय की अनुमति लेना अनिवार्य होगी। इसके अलावा शाखा के अधिकारी ऑनलाइन राशि अंतरित करने के लिए मुख्यालय स्तर पर अनुमति की मांग करेंगे। वहीं पर निर्णय लेने के बाद ही खाते में राशि हस्तांतरित की जाएगी।
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बीते दिनों से सरकार द्वारा सहकारी केंद्रीय बैंक से संबंधित वित्तीय अनियमितता की पड़ताल की गई थी। इस दौरान बड़ी राशि खाते से दूसरे खाते में अंतरित करने की बात सामने आई थी। जिसके बाद अकाउंट विभाग द्वारा सरकार को सुझाव दिया गया था कि व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाए जाने की आवश्यकता है। इसके बाद अब किसी भी सहकारी बैंकों में 2 लाख से अधिक की रकम अंतरित करने के लिए अनुमति लेनी आवश्यक होगी। इसके अलावा बैंक के वरिष्ठ अधिकारी की जानकारी में सभी बड़े लेन-देन किए जाएंगे।
वहीं यदि किसी भी तरह की संदिग्ध लेनदेन और वित्तीय अनियमितता की जानकारी मिलती है तो शाखा के अधिकारियों से पूछताछ की जा सकेगी। मामले में सहकारिता विभाग के संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर का कहना है कि व्यवस्था में सुधार के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं और इससे सहकारी बैंकों में वित्तीय अनियमितता पर अंकुश लगेगा।