छत्तीसगढ़ में आदिवासी विकास विभाग द्वारा कथित तौर पर 32 हजार रुपये प्रति स्टील जग के हिसाब से 160 जग खरीदने का मामला राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस मामले में जांच की मांग की है। जबकि विभाग ने इन आरोपों को भ्रामक और आधारहीन बताया है।
क्या है मामला?
15 जुलाई को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए यह मुद्दा उठाया। उन्होंने लिखा,
“एक जग की कीमत 32,000 रुपये। चौंकिए मत, विष्णुदेव की सरकार में सब संभव है। आदिवासी बच्चों के हॉस्टल के लिए खरीदे जाने वाले सामानों के फंड पर भी ग्रहण। जेम पोर्टल से एक जग खरीदा गया। एक जग 32 हजार रुपये का। कुल 160 जग की कीमत 51 लाख रुपये।”
एक जग की क़ीमत ₹32,000
चौंकिए मत, विष्णुदेव की सरकार में सब संभव है।
आदिवासी बच्चों के हॉस्टल के लिए ख़रीदे जाने वाले सामानों के फंड पर भी लगा ग्रहण।
जेम पोर्टल से एक जग ख़रीदा गया — 1 जग ₹32,000 का!
कुल 160 नग जग की क़ीमत ₹51 लाख।शर्मनाक। pic.twitter.com/MxcuujSSKy
— Deepak Baij (@DeepakBaijINC) July 15, 2025
इसके साथ ही उन्होंने कुछ दस्तावेजों और तस्वीरों को भी साझा किया। जिनमें खरीद प्रस्ताव की जानकारियां दिखाई दे रही थीं।
कांग्रेस ने क्या मांग की?
दीपक बैज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे राज्य के आदिवासी छात्रावासों में की गई खरीद की विस्तृत जांच की मांग की। उन्होंने कहा,
“32 हजार रुपये का एक जग खरीदकर विष्णुदेव सरकार किस प्रकार के सुशासन का परिचय दे रही है? आदिवासी बच्चों के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।”
पूरे प्रदेश के छात्रावासों में हुई खरीदी की अच्छी तरह जाँच होनी चाहिए और आदिवासी बच्चों के हक़-अधिकार पर ग्रहण लगाने वाले सभी लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए।
₹32 हज़ार रुपए का जग (मग्गा) ख़रीदकर किस प्रकार के सुशासन का परिचय दे रही है विष्णुदेव सरकार? pic.twitter.com/jijGkh3qc1
— Deepak Baij (@DeepakBaijINC) July 15, 2025
“कोई खरीद नहीं हुई”
मामला गरमाने के बाद आदिवासी विकास विभाग ने एक आधिकारिक बयान जारी कर आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया। विभाग ने बताया कि फरवरी 2025 में बलौदा बाजार जिले में तत्कालीन सहायक आयुक्त संजय कुर्रे द्वारा 160 स्टील जग की खरीद का प्रस्ताव भेजा गया था। प्रस्ताव में बताए गए रेट अत्यधिक पाए गए, इसलिए उसे तुरंत निरस्त कर दिया गया। न तो कोई ऑर्डर जारी हुआ, न ही कोई सामान सप्लाई किया गया और न ही भुगतान की कोई प्रक्रिया हुई।
वर्तमान सहायक आयुक्त सूरजदास मानिकपुरी ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक प्रस्ताव था, जिसकी जांच के बाद उसे खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा,
“सोशल मीडिया पर जो दस्तावेज वायरल हो रहे हैं। वे केवल प्रस्ताव से जुड़े प्रारंभिक कागज़ात हैं। जिन पर कोई अमल नहीं हुआ।”
कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर हमलावर है। वहीं भाजपा सरकार का कहना है कि जांच से पहले आरोप लगाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला क्या मोड़ लेता है।





