राम मंदिर निर्माण के लिए इंदौर के क्रिश्चियन और मुस्लिम समुदाय ने दिया चंदा

इंदौर,डेस्क रिपोर्ट।  देशभर में राम मंदिर निर्माण (Ram Temple Construction) के लिए धनराशि इकट्ठा (Donation) की जा रही है। राम मंदिर (Ram Temple) बनाने के लिए और उसके लिए धनराशि एकत्रित करने के मद्देनजर चलाए जा रहे अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। राजनीति से जुड़े लोग हो या बॉलीवुड से जुड़े राम मंदिर निर्माण के लिए सभी अपना योगदान (Contribution) दे रहे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली इंदौर (Indore) से सांप्रदायिक सौहार्द (Communal harmony) की मिसाल देखने को मिली है, जहां क्रिश्चियन (Christian community) और मुस्लिम समुदाय (Muslim community) के लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया है।

इंदौर के खजराना क्षेत्र में सांसद शंकर लालवानी (MP Shankar Lalwani) और गोविंद मालू को मुस्लिम समाज द्वारा 11 हजार रुपए का चेक (Cheque) सौंपा गया। सांझा संस्कृति मंच द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें मुस्लिम समाज द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए दान दिया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग मौजूद थे। आयोजित कार्यक्रम में मुस्लिम समाज द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए ₹11000 रुपए का चेक सांसद शंकर लालवानी को सौंपा गया। समारोह के दौरान शंकर लालवानी कहते हैं कि 130 करोड़ भारतीय मिलकर अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य और दिव्य मंदिर बनाएंगे। इसके लिए प्रदेश भर से श्रद्धा निधि एकत्रित की जा रही।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।