ग्वालियर,अतुल सक्सेना। पुलिस (Police) समाज की सेवा के लिए है और उनकी समस्याओं का निराकरण (Resolving problems) करना और मुजरिम को पकड़ कर उसे सजा दिलाना पुलिस की ड्यूटी है, लेकिन जो मामला हम आपको बताने जा रहे हैं उसमें एक दरोगा की ही शिकायत पुलिस विभाग द्वारा 4 महीने तक नहीं लिखी गई। गौरतलब है कि 1 दिन भी नहीं गुजरा होगा जब रिटायर्ड दरोगा (Retired Inspector) थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने नहीं गए, लेकिन उनको सिर्फ जांच का हवाला दिया जा रहा था पर उनकी शिकायत पुलिस विभाग (Police Depatartment) द्वारा टाल दी जा रही थी। अपनी शिकायत लेकर रिटायर्ड दरोगा एसपी ऑफिस लेकर अन्य कई अफसरों के दफ्तर पहुंचे पर उनकी सुध किसी ने नहीं ली।
दरअसल, 3 साल पहले रिटायर हुए दरोगा की 10 सितंबर को असामाजिक तत्वों द्वारा कार में आग लगा दी गई थी। इस घटना को 4 महीने बीत गए लेकिन अब जाकर एफआईआर दर्ज हुई है। इस पूरे मामले में विभाग सवालों के घेरे में है कि अगर रिटायर्ड पुलिस कर्मचारी के साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है तो आम इंसान की पुलिस विभाग क्या ही सुनती होगी। वहीं रिटायर्ड दरोगा का कहना है कि पूरी जिंदगी जिस विभाग में काम करके निकाल दी, वहां ऐसा व्यवहार होना बुरा लगता है। इन 4 महीनों में एक बार भी पुलिस उनके घर नहीं आई।
बता दें कि ग्वालियर के गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर में रहने वाले महेंद्र सिंह भदोरिया जोकि 63 वर्ष के हैं उनका 2017 में रिटायरमेंट हो गया था। बीते 10 सितंबर 2020 को उनकी गाड़ी घर के बाहर खड़ी हुई थी इसी दौरान उनके पड़ोसी ने करीब 12:30 बजे उनके घर में आकर उन्हें बताया कि उनकी कार में आग लग गई है, जिसके बाद जब वो आपने घर के बाहर आए तो उन्होंने अपनी कार को आग में जलता हुआ दिखा। जिसके बाद वह अपने बेटों के साथ आग बुझाने में जुट गए।
जैसे-तैसे आग पर काबू पाकर पूरी घटना के बारे में पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और मामले का जायजा ले कर चली गई। घटना के दूसरे दिन दरोगा पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज करने गए, वहां पर उनका आवेदन ले लिया गया और जांच के नाम पर खानापूर्ती करते रहे।
वही इस पूरी घटना को लेकर रिटायर्ड दरोगा का कहना है कि घटना को लेकर जब वह हर दिन शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन जाते हैं और जब उनकी कोई सुध नहीं लेता था तो बुरा लगता था। क्योंकि उन्होंने इस विभाग में अपनी पूरी जिंदगी निकाली है। वह कहते हैं कि मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि जांच का कहकर बात को किस तरह से टाला जाता है। रिटायर्ड दरोगा कहते हैं कि आज ही तक मैंने किसी का बुरा नहीं किया लेकिन जब अपने ही विभाग के लोग ऐसा करते हैं तो बुरा लगता है। लेकिन मैं सिस्टम से हारा नहीं । मैं लगातार लड़ता रहा और 115 दिन बाद मेरी एफआईआर पुलिस को दर्ज करनी पड़ी।
मामले को लेकर रिटायर्ड दरोगा महेंद्र सिंह ने बताया कि कार में आग लगाने वाली पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी, जिसका फुटेज पुलिस को जांच के लिए दिया गया था पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। वही रिटायर्ड दरोगा का कहना है कि इससे पहले भी मार्च 2020 में उनकी गाड़ी के कांच फोड़ दिए गए थे। 10 दिसंबर को उनकी कार में आग लगा दी गई। जैसे तैसे कार को ठीक कराया तो 29 नवंबर को गाड़ी के कांच दोबारा फोड़ दिए गए।
वही इस पूरी घटना को लेकर थाना प्रभारी संतोष यादव का कहना है कि इस घटना के दौरान दो प्रभारी बदल दिए गए हैं। मैंने कुछ दिन पहले ही चार्ज संभाला है। मामला सामने आने पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और दोषियों को पकड़ कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।