सतना।पुष्पराज सिंह बघेल।
मध्य प्रदेश में बसो का संचालन अब मानो टेड़ी खीर हो गया है।पहले से ही जहाँ टैक्स की मार से बस व्यवसाई उबर नही पाया और अब कोरोना काल मे थमे बस के पहियों पर भी बेजा टैक्स देना पड़ रहा है।ऊपर से महंगा हुआ डीजल बस व्यवसाय की कमर तोड़ रहा है।साफ है कि कोरोना संक्रमण के बीच बस दौड़ाना किसी अग्नि पथ से कम नही है।यही वजह कि समूचे मध्य प्रदेश में 36 हजार बसो के पहिये थम गए है।बीते दिनों सतना में भी बस व्यवसाईयों की एक बैठक हुई जिसमें उन्होंने अपनी समस्यों को सरकार तक पहुचाने की जुगत लगाई है। और आगामी दिनों में अगर उनकी आवाज नही सुनी गई तो वो उग्र आंदोलन करेंगे।
ऐसा नही है कि बस व्यवसाय से केवल बस संचालक का हित जुडा है।बस का इंजन चालू होने से लेकर सड़को पर दौड़ने तक हर व्यक्ति लाभान्वित होता है।इसमें बस मालिक कर्मचारी,और यात्री सभी एक कड़ी में हैं जिन्हें इसका लाभ मिलता है।लेकिन विगत वर्षों में बिगड़ी परिवहन नीति के चलते अब यह व्यवसाय खासा प्रभावित हुआ ।मौजूद कोरोना काल मे जहाँ बस व्यवसाईयों उनके कर्मचारियों को सुरक्षा की चिंता है।तो देश भर में सरकार द्वारा किये गए टोटल लॉक डाउन होने पर भी थमे बस के पहियों पर भी टैक्स वसूला जा रहा है।लॉक डाउन के कारण ही सतना में एक बस व्यवसाई बेजा कर्ज के चलते पहले ही मौत को गले लगा चुका है।ऐसे में सरकार की दो धारी तलवार से कट रहे बस व्यवसाय की गर्दन से बस व्यवसाई इस व्यवसाय से पलायन को मजबूर हो रहे है।
सतना बस ऑनर्स की माने तो सरकार के बाद जिला प्रशासन भी मनमानी पर उतारू है लॉक डाउन खुलने के बाद जहाँ चौतरफा बसों का संचानल बंद है वही नगर निगम से अनुबन्धित बस का संचालन सूत्र सेवा योजना के तहत महज एक ही रुट पर संचालित हो रही है।जिसे जिला कलेक्टर द्वारा अधिग्रहण कर आर टी ओ से बिना परमिट जारी हुए संचालित हो रही है।बस व्यवसाई इसे नियम विरुद्ध मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन बता रहे है ।जिसे पूरी तरह जिला कलेक्टर की मनमानी करार दे रहे है।जिसमे एक बस कम्पनी को विशेष लाभ देने का आरोप भी लगा रहे है।
बस व्यसाइयो ने आगामी दिनो मे सरकार से दो चार होने के लिए अब अपनी कमर कस ली है।जिसमे बैठक कर अपनी माँग को प्रमुखता से उठाया है।जिसमे अहम मुद्दा है कि लॉक डाउन के दौरान शासन के आदेश में ही बसो के थमे पहियों पर लगने वाले टैक्स पर छूट दी जाए।6 महीने का टैक्स माफ किया जाय ताकि तीन महीने से बंद पड़े व्यसाय की भरपाई हो सके और प्रति दिन बस कर्मचारियो को दो हजार रुपये मुआवजा दिया जाय।बस व्यसाइयो की इन माँगो के बीच ही बसों का संचालन टैक्स माफ होने पर चार चरणों मे सम्भ हो सकेगा वार्ना समूचे मध्य प्रदेश में आबकारी की तरह सरकार और प्रशसन को बस की स्टेरिंग थामनी पड़ेगी।
तीन माह से बंद पड़े बस व्यवसाय को पुनः चालू करने के लिए बस ऑपरेटरों द्वारा शासन से निम्नलिखित मांगे
1 सर्वप्रथम लॉक डाउन के पीरियड का माह जून तक टैक्स माफ किया जाय।
2 बस संचालन की कोरोना काल के लिए नीति निर्धारित की जाए की बस सेवा कैसे संचालित हो और किस प्रकार से यात्रियों को और स्टाफ को कोरोना के कहर से बचाया जा सके।
3:- मार्ग में यात्रियों की संख्या बहुत ही कम रहेगी इसलिए पूरी बसें संचालित नहीं हो पाएंगी इसलिए बस ऑपरेटर को बस सरेंडर करने के लिए 2 माह का सरेंडर पीरियड बढ़ाकर 1 वर्ष किया जाए।
4:- कोरोना काल में खड़ी वाहनों का बीमा अवधि 6 माह के लिए बढ़ाई जाए।
5:- आगामी माह से जब तक कोरोना कॉल रहेगा तब तक बसों से 25% टैक्स लिया जाए।
6:- फाइनेंस किस्तों में लगने वाली ब्याज माफ की जाए।
7:- हमारे ड्राईवर कंडेक्टर क्लीनर को सरकारी मदद दी जाए जैसे राशन भत्ता एवं पीपीई किट आदि।