भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देशभर में Corona के Delta Plus वैरिएंट के केस मिलने से सरकार चिंता में आ गई है। अब तक कई राज्यों में Delta plus वैरिएंट के मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। बीते दिनों राजधानी भोपाल में एक महिला में Delta plus वैरिएंट की पुष्टि के बाद आज फिर प्रदेश में एक मरीज में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई है।
दरअसल राजधानी के बैरागढ़ निवासी 30 वर्षीय युवक की रिपोर्ट में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि की गई है। राजधानी भोपाल में मिला अब तक का यह तीसरा मामला है। वहीं प्रदेश में इस घातक वैरिएंट के कुल 8 मरीज सामने आ चुके हैं। हालांकि इनमें से 5 स्वस्थ हो चुके हैं जबकि 2 की मौत हो चुकी है।
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बता दें कि दूसरे लहर में देशभर में Corona के डेल्टा वैरिएंट ने तबाही मचाई थी। वही डेल्टा प्लस वैरिएंट को Delta वेरिएंट से काफी घातक माना गया है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह तेजी से लोगों को संक्रमित कर सकता है। देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के 51 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार अलर्ट मोड (Alert Mode) में आ गई है।
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मध्य प्रदेश में लगातार मिल रहे कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर विपक्ष ने शिवराज सरकार (shivraj government) पर निशाना साधा है। विपक्ष ने कहा कि अशोकनगर और उज्जैन में 2 की मौत हो चुकी है जबकि 8 से अधिक मामले अब तक प्रदेश में सामने आ चुके हैं। कमलनाथ (kamanath) ने ट्वीट (tweet) करते हुए कहा कि कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के इतने मामले सामने आने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा इससे निपटने की क्या व्यवस्था की गई है? इस प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा कौन से कदम उठाये जा रहे हैं? बता दें कि शिवराज सरकार पर कोरोना की संभावित तीसरी लहर (third wave) को देखते हुए कांग्रेस (congress) हमलावर बनी हुई है।
वहीं केंद्र सरकार द्वारा 8 राज्यों को चिट्ठी लिखी गई है। केंद्र सरकार (central government) ने इन सभी राज्यों को सचेत रहने की सलाह दी है। केंद्र सरकार ने लिखी चिट्ठी में इन सभी राज्यों को कहा है कि जिन जिलों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के केस मिले जिन। वहां तत्काल प्रभाव से कंटेनमेंट जोन (containment zone) तैयार किए जाए। केंद्र सरकार ने इस मामले में राजस्थान, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और तमिलनाडु शामिल है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 8 राज्यों को चिट्ठी लिखकर जांच और जिनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) के सैंपल भेजने के निर्देश दिए हैं।