सिंधी समाज की मांग, भाषा के आधार पर भाषायी अल्पसंख्यक का मिले दर्जा

इंदौर, आकाश धोलपुरे। गुजरात और राजस्थान की ही तरह अब मध्यप्रदेश में भी सिंधी समाज द्वारा मांग की जा रही है कि सिंधी समाज को मध्यप्रदेश में भी भाषायी अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान किया जाये। इस संबंध में सिंधी समाज को मध्यप्रदेश में भाषायी अल्पसंख्यक घोषित करने की याचिका भी लगाई गई है। ये पहल इंदौर सहित मध्यप्रदेश के सिंधी समाज के वरिष्ठ समाजसेवी ईश्वर झामनानी, गोपाल कोड़वानी और जयेश गुरनानी ने की है।

जानकारी के मुताबिक सिंधी समाज को मध्यप्रदेश में भाषायी अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान करने की याचिका इंदौर के विधि छात्र एवं यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जयेश गुरनानी के माध्यम से मध्य प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग में दायर की गई है। याचिका में यह कहां गया है कि सिंधी भाषा एवं सिंधी सभ्यता मध्यप्रदेश में विलुप्त होती जा रही है, जिसके चलते नई पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रही है। इसलिए सिंधी भाषा एवं सभ्यता के उत्थान के सिंधी समाज को भाषायी अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए जिससे, सिंधी समाज अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ ले सके।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।