अब समझिए फर्क! कॉकटेल और मॉकटेल में क्या होता है असली अंतर? जानिए आसान भाषा में

कई बार पार्टी में ड्रिंक्स का मेन्यू देखकर कंफ्यूजन होता है, कॉकटेल लें या मॉकटेल? दोनों दिखने में तो एक जैसे लगते हैं, लेकिन क्या इनका असर भी एक जैसा होता है? इस रिपोर्ट में जानिए कॉकटेल और मॉकटेल के बीच का बेसिक और साइंटिफिक अंतर, वो भी आसान भाषा में।

आजकल पार्टी, शादी या फॉर्मल इवेंट में कॉकटेल और मॉकटेल का नाम सुनना आम बात है। लेकिन कई लोगों को अब तक यह ठीक से समझ नहीं आता कि आखिर दोनों में फर्क क्या है? क्या सिर्फ नाम अलग है या इनमें कोई बड़ा अंतर भी है? चलिए, आपको सिंपल तरीके से समझाते हैं कि कॉकटेल और मॉकटेल (Cocktail vs Mocktail) असल में क्या होते हैं।

कॉकटेल एक ऐसा ड्रिंक होता है जिसमें एल्कोहल यानी शराब मिक्स होती है। इसमें वोडका, रम, जिन या व्हिस्की जैसे हार्ड ड्रिंक्स को जूस, सोडा या फ्लेवर सिरप के साथ मिलाकर सर्व किया जाता है। वहीं मॉकटेल पूरी तरह से नॉन-एल्कोहलिक होता है। इसका स्वाद भले ही कॉकटेल जैसा लगे, लेकिन इसमें शराब नहीं होती। यही वजह है कि बच्चे, टीनएजर्स या नॉन-ड्रिंकर्स भी मॉकटेल को आराम से पी सकते हैं।

कॉकटेल क्या है और इसमें क्या होता है?

कॉकटेल एक तरह का मिक्स ड्रिंक है जिसमें शराब यानी एल्कोहल बेस होता है। इसमें वोडका, रम, जिन, टकीला जैसी शराब को फ्रूट जूस, सोडा, टॉनिक वॉटर और फ्रेग्नेंट सिरप्स के साथ मिलाया जाता है। इसका मकसद स्वाद बढ़ाना और पीने के अनुभव को खास बनाना होता है। हर कॉकटेल का अपना नाम और रेसिपी होती है, जैसे मार्टिनी, मोजितो, ब्लडी मैरी, मार्गरीटा आदि।

कॉकटेल को खासतौर पर एडल्ट्स के लिए तैयार किया जाता है और इन्हें पीने के लिए उम्र सीमा होती है। यही कारण है कि कॉकटेल हमेशा शराब पर निर्भर करता है, जो इसे मॉकटेल से अलग बनाता है।

मॉकटेल क्या है और ये किसके लिए है?

मॉकटेल नाम ही बता देता है कि ये ‘mock’ यानी नकली कॉकटेल है। लेकिन इसमें कोई नुकसानदायक एल्कोहल नहीं होता। यह नॉन-एल्कोहलिक होता है और इसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो शराब नहीं पीते, लेकिन स्वाद और लुक कॉकटेल जैसा चाहते हैं।

मॉकटेल में फ्रूट जूस, फ्रेश हर्ब्स (जैसे मिंट), नींबू, सिरप, आइस और सोडा वॉटर जैसी चीजें मिलाकर एक खूबसूरत ड्रिंक बनाया जाता है। यह हेल्दी भी हो सकता है और इसका लुक भी आकर्षक होता है। बच्चे, प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग या हेल्थ कॉन्शियस लोग इसे बिना किसी झिझक के पी सकते हैं।

Soft Drink vs Hard Drink में क्या फर्क है?

Soft Drink यानी कोल्ड्रिंक्स जैसे कोका-कोला, लिम्का, थम्स अप आदि। इनमें एल्कोहल नहीं होता। वहीं Hard Drink यानी शराब, जैसे वोडका, रम, व्हिस्की। जब इन्हें मिक्स करके परोसा जाता है तो वो कॉकटेल बनता है। Soft Drink आमतौर पर हर एज ग्रुप के लिए होते हैं, जबकि Hard Drink सिर्फ बालिग लोगों के लिए।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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