भोपाल।
मध्य प्रदेश(madhya pradesh) के सियासी हलचल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह(digvijay singh) ने गुरुवार को राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। जहां उन्होंने सिंधिया(scindia) पर बोलते हुए काफी खुलासे किए थे। अब दिग्विजय सिंह ने एक और बड़ा दावा किया है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि किसी भी स्थिति में सरकार नहीं गिरने वाली है क्योंकि कांग्रेस के पास 122 विधायकों का संख्या बल है। इसलिए प्रदेश में कांग्रेस की सरकार स्थिरता से चलेगी। वहीं राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए 116 विधायकों की जरूरत होगी इसलिए मुझे फूल सिंह बरैया की जीत का भरोसा है।
दरअसल शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा की हमारे पास बहुमत है इसलिए राज्यसभा चुनाव के दूसरे कांग्रेसी उम्मीदवार बरैया की जीत निश्चित है। वही बंगलुरु में बंधक बने गए विधायकों पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि उन्हें अच्छी तरह से वापस लाया जाएगा। वे सब कांग्रेस(congress) के साथ हैं। बता दें कि इससे पहले गुरुवार को पत्रकार वार्ता में सिंह ने कहा था की सिंधिया को प्लान के तहत बीजेपी(bjp) में लाया गया है। प्लान के फेल हो जाने पर दूसरा प्लान के जरिए सिंधिया को भाजपा में शामिल किया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि सिंधिया काफी समय से अमित शाह के संपर्क में थे और एक बड़े ऑफर के तहत वह बीजेपी में शामिल हुए हैं। गुरुवार को नामांकन के बाद दिग्विजय ने कहा था कि पद नहीं विचारधारा का सम्मान होना चाहिए। मैं कांग्रेसी हूं और आखरी दम तक कांग्रेस ही रहूंगा। पार्टी एक विचारधारा से चलती है और मेरे लिए पद नहीं विचारधारा जरूरी है। वहीं बताते चले कि फूल सिंह बरैया ने अभी तक अपना नामांकन पत्र नहीं भरा है। दिग्विजय सिंह के बयान के बाद उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि राज्यसभा चुनाव की दूसरी सीट भी कांग्रेस के खाते में आएगी। बरैया शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। फूल सिंह बहुजन संघर्ष दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जहां पिछले साल कांग्रेस में शामिल होते हुए उन्होंने कहा था कि देश का भविष्य कांग्रेस के हाथों में ही सुरक्षित है। कमलनाथ सरकार प्रदेश में विकास की नई कहानी लिखेगी।
गौरतलब है कि फूल सिंह बरैया एक बड़े दलित नेता हैं। ग्वालियर चंबल से बरैया का नाम आगे करना सिंधिया की काट के रूप में देखा जा रहा है। बरैया पहले बसपा में थे जिसके बाद उन्होंने खुद की पार्टी बहुजन संघर्ष दल के रूप में बनाई थी। इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने राजमणि पटेल को पिछड़े वर्ग के नेता के रूप में राज्यसभा के लिए चुना था तो वही इस बार कांग्रेस दलित नेता पर अपना दांव खेल रही है।अटकलें रामनिवास रावत और अरुण यादव के नाम पर भी थी किन्तु तीसरी सीट पर कड़ी टक्कर देखकर नामों पर सहमति नहीं बन पाई। दरअसल प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटों पर चुनाव 26 मार्च को होना है। जिसके लिए पहले कांग्रेस 2 सीटों पर और भाजपा की 1 सीटों पर जीत तय थी। किंतु अचानक से हुए सियासी फेरबदल के बाद दोनों पार्टी ने 2-2 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जिससे तीसरे सीट के लिए चुनाव होना तय है।