रतलाम : पेट में घुसा था चाकू, घायल देख रहा था इलाज की राह तो डॉक्टर कर रहे थे परिजनों का इंतजार

रतलाम,डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश से अक्सर अस्पताल (Hospitals) द्वारा बरती जा रही लापरवाही (Negligence) की खबरें सामने आ रही है। कहीं ऑपरेशन (Post Surgery) के बाद पेट में पट्टी छूटने की खबर सामने आती है तो कहीं नसबंदी के बाद मरीजों को स्ट्रेचर (Stretcher) की सुविधा नहीं मिल पाती है। जिस मामले के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, इसमें पेट में लगे चाकू से घायल हुआ युवक घंटों तक इलाज (Treatment) के लिए तड़पता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसका इलाज करने की जगह परिजनों का इंतजार करना उचित समझा। हद तो तब हो गई जब पुलिस को मामले के बारे में पता चला तो वह तुरंत हॉस्पिटल पहुंची और बयान लेने की कार्रवाई में इतनी व्यस्त हो गई कि उसने यह नहीं देखा कि जिस युवक से वह बयान ले रही है उसका इलाज नहीं हुआ है और उसके पेट में चाकू (Knife) अभी भी लगा हुआ है।

डॉक्टर करते रहें परिजनों का इंतजार


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।