विवाह संपन्न हुआ! पूरे रीति रिवाज के साथ कुतिया रश्मि और कुत्ता गोलू की हुई शादी

Gaurav Sharma
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टीकमगढ़, डेस्क रिपोर्ट। एमपी अजब है, सबसे गजब है! यह सिर्फ कहने के लिए नहीं है यहां पर कुछ ऐसे मामले भी सामने आ जाते हैं जो इस बात को सिद्ध कर देते हैं। एक ऐसा ही मामला हम आपको बताने जा रहे हैं जहां प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के निवाड़ी क्षेत्र के पूछीकरगुआ गांव के ग्रामीणों ने सबकी खुशहाली (Prosperity) के लिए गांव के ही कुत्ते और कुतिया (Dog and bitch) की बड़े धूमधाम से शादी (wedding) कर दी।

विवाहित जोड़े कुत्ते का नाम गोलू तो कुतिया का नाम रश्मि है। इस शादी में करीब 800 लोगों को खाना खिलाया गया है। बता दें कि कुत्ता गोलू की बारात उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के बकवा खुर्द गांव से धूमधाम के साथ देर रात पूछीकरगुआ गांव पहुंची, जहां पहले बारातियों का मान सम्मान के साथ स्वागत किया गया और फिर उसके बाद कुत्ता गोलू और कुतिया रश्मि की विधि विधान के साथ जयमाला भी की गई।

बता दें कि दुल्हन रश्मि पूछीकरगुआ गांव के मूलचंद की कुत्तिया है, जिसका ससुराल उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बकवा खुर्द है। दूल्हा गोलू बकबक खुर्द के रहने वाले अशोक यादव का कुत्ता है। दोनों कुत्ता कुतिया की शादी बड़े ही धूमधाम और हिंदू रीति रिवाज से संपन्न हुई। साथ ही कुतिया रश्मि की मूलचंद और गांव वालों ने नम आंखों के साथ विदाई की।

कुत्ता कुतिया  की शादी (Dog-Witch Marriage) को अंजाम गांव की खुशहाली (Village prosperity) के लिए दिया गया। गांव वालों का कहना है कि गांव में पीने के पानी की काफी समस्या हो रही थी,जिसके कारण ग्रामीणों को काफी समस्या हो रही है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए और इंद्र देव को खुश करने के लिए दो मूक जानवरों की शादी की गई। गांव वालों का मानना है कि इससे इंद्रदेव प्रसन्न होंगे और उनके यहां पेयजल की समस्या खत्म हो जाएगी और गांव की खुशहाली वापस लौट आएगी।

कुत्ता गोलू के मालिक अशोक यादव का कहना है कि गांव में पानी की समस्या काफी बनी हुई है। समस्या से निजात पाने के लिए गांव वालों की सहमति और मूलचंद्र की रजामंदी के साथ कुत्ता कुतिया की शादी करवाई गई। शादी के साथ सभी गांव वालों ने इंद्रदेव से प्रार्थना की है कि गांव को पानी की समस्या से निजात दिलाए और गांव की खुशहाली बनाए रखें। दरअसल गांव की महिलाओं को घंटों में लाइन लगकर पीने का पानी लाना पड़ता था जिसके चलते हैं उन्हें काफी समस्या होती थी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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