कोरोना संकटकाल के दौर में(Corona in times of crisis) जहां एक तरफ देशभर सहित प्रदेश सरकार ने स्कूल की फीस9school fees) को लेकर छात्र हित में फैसले ले रही है। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पब्लिक स्कूल प्रबंधन(Delhi Public School Management) द्वारा लगातार अभिभावकों पर फीस जमा करने के दबाव बनाने के साथ ही साथ धमकी दी जा रही है। वहीँ बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज आईडी(online classes ID) को ब्लॉक किया जा रहा है। जबकि मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों की फीस वसूली(Fees for private schools in Madhya Pradesh) को लेकर सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी किये है। राज्य सरकार सरकार ने आदेश दिए हैं कि फीस नहीं देने पर निजी स्कूल किसी विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकेंगे। हाईकोर्ट(highcourt) ने भी यह आदेश दिया है कि फीस न देने पर अब स्कूल प्रबंधन बच्चों का नाम नहीं काट सकते हैं। जिसके बाद अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर उन्हें मामला बताया।
दरअसल मामला इंदौर का है। अभी तक स्कूल फी को लेकर हाई कोर्ट की तरफ से कोई स्पष्ट निर्देश सामने नहीं आए हैं। जिसके बाद अब एक बार फिर प्राइवेट स्कूल(Private school) मनमर्जी करने लगे हैं। इंदौर के दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बच्चों के अभिभावकों पर जुलाई से सितंबर तक की फीस जमा करने का दवाब बनाया है। इतना ही नहीं स्कूल प्रबंधन ने उन बच्चों को अपने ऑनलाइन क्लास व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिनकी फीस अब तक जमा नहीं हुई है। जिसके बाद अभिभावकों ने इस मामले में जब स्कूल शिक्षा विभाग से बात करनी चाहिए तो प्रबंधन अपनी मनमानी पर अड़ा रहा। इसी को लेकर गुरुवार को 50 से अधिक अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी से बात करने पहुंचे। अभिभावकों ने अधिकारी से मिलने के बाद उनसे स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की बात कही।
दूसरी तरफ अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण 3 महीने से कामकाज ठप पड़ा हुआ है। स्कूल प्रबंधन लगातार फोन कर फीस जमा करने का दबाव बनाता रहा है। लेकिन अब स्कूल में बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस की आईडी ब्लॉक करनी शुरू कर दी है। वहीं अभिभावकों का ये भी कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने 2020-21 के लिए मार्च में ही एडवांस फीस भी जमा करवा ली थी। जिनमें एनुअल फीस के साथ-साथ अन्य मद जैसे ट्यूशन फीस और बस फीस शामिल थे। अब लॉकडाउन में स्कूल बंद है ऐसे में अभिभावकों चाहते हैं की इन एडवांस फीस से ही प्रबंधन जुलाई से सितंबर तक की फीस को एडजस्ट कर दे। बाकी फीस अभिभावक बाद में भर देंगे।
इधर इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र मगवानी का कहना है कि अभी स्कूल फीस को लेकर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। ऐसी स्थिति में फैसला आने के बाद ही गाइडलाइन तैयार की जाएगी। उनका कहना है कि वह स्कूल प्रबंधन से बात करके मामले को समझने की कोशिश करेंगे। जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली थी। जहाँ उन्होंने कहा था कि कोरोना संकट के चलते निजी विद्यालय विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क वसूल नहीं कर पाएंगे। वहीँ उन्होंने निर्देश दिए थे कि शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करे कि यदि कोई अभिभावक बच्चे की फीस नहीं चुका पा रहा है तो भी उसका नाम विद्यालय से किसी भी हालत में नहीं कटना चाहिए।