गणेश जी के पंडाल नहीं लगने देंगे लेकिन अपने लगाएंगे, ये हैं इनका हिंदुत्व: दिग्विजय सिंह

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना

मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister and Rajya Sabha member Digvijay Singh) ने ग्वालियर (Gwalior) में भाजपा और सिंधिया पर जमकर हमला बोला। उन्होंने प्रेस कॉंफ़्रेंस लेकर सिंधिया के भाषण के वीडियो दिखाये और तंज कसे। दिग्विजय सिंह ने सिंधिया (Jyotiraditya scindiya) और भाजपा नेताओं की बातों के सिलसिलेवार जवाब दिये।

एक दिवसीय दौरे पर ग्वालियर आये पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने निजी होटल में पत्रकारों से चर्चा की। उन्होंने सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुराने भाषणों के वीडियो दिखाये। फिर कहा कि अब बड़ी बड़ी बातें हो रहीं हैं लेकिन हम कैसे विश्वास कर लें सिंधिया जी। मेरे लिए राजनीति में सबसे बड़ी चीज विश्वसनीयता होती है जो आप खो चुके हो। कांग्रेस ने आपको बहुत कुछ दिया पूरा देश जानता है। आप तो सोनिया जी, राहुल जी, प्रियंका जी के सबसे नजदीक थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि आ पार्टी छोड़ सकते हैं लेकिन फिर भी आप पार्टी छोड़कर चले गए है और अब इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। मुझे तो इसकी भी उम्मीद नहीं थी इसलिए अब हमें लोकतंत्र को बचाना है, इसलिए कांग्रेसी अब मैदान में है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि वे कहते हैं कांग्रेस मर गई जबकि सिंधिया के जाने से ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस जीवित हो गयी है और मजबूत हो गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मोतीलाल नेहरू को गद्दार कहने पर कहा कि जो लोग आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश हुकूमत से देश के लिए लड़े वे गद्दार कैसे हो सकते हैं भाजपा पहले इसका जवाब दे। और फिर जिन लोगों का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा उनको बोलने का कोई अधिकार नहीं है। कोरोना काल में भाजपा के आयोजन से जुड़े सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग गणेश जी के पंडाल नहीं लगने देंगे लेकिन भाजपा के लगेंगे, ये है भाजपा का असली हिंदुत्व। कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा के सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि अभी तो चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा नहीं की है थोड़ा सब्र रखिये। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया चल रही है, समय पर नाम सामने आ जायेंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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