गरजे तोमर, सिंधिया कोई नेतृत्व की छवि धूमिल करेगा तो उसका जवाब भी मिलेगा  

ग्वालियर,अतुल सक्सेना । कृषि कानूनों (Agricultural laws) की सच्चाई बताने और इनके बारे में फैलाई जा रही भ्रम की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए आयोजित किये जा रहे किसान सम्मेलनों (Farmer Conferences) की श्रृंखला में ग्वालियर में आयोजित किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने(Narendra Singh Tomar) मंच से उन ताकतों को चेतावनी दी जो किसान आंदोलन के बहाने माहौल को बिगाड़ रहे हैं । उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi )  का नेतृत्व भाजपा (BJP) की सरकार किसानों के सामने सिर झुकाकर चौबीस घंटे चर्चा करने को तैयार है लेकिन कोई भी गलत इरादे से नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करेगा तो ये सरकार जवाब देने को तैयार है।  श्री तोमर ने कहा कि हमारे नेता, हमारी नीति और हमारी नीयत तीनों पवित्र हैं, किसानों के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर मौजूद पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सरकार किसानों के हित संरक्षण के लिये संकल्पित है। उन्होंने कहा कि अन्नदाता देश, प्रदेश का ही नहीं पूरे विश्व के लोगों का पेट भरता है। फसल बोते समय खाद-बीज डालने के साथ-साथ अपना पसीना बहाकर एक वटवृक्ष तैयार करके हम तक फसल पहुँचाता है। आज चंद लोग किसानों के हित संरक्षण के लिये बनाए कानून में रोड़ा अटका रहे हैं। ये तीनों कानून असली मायने में  किसानों के लिए आर्थिक आजादी का कानून है।  70 सालों से जंजीरों में जकड़ा किसान अब पूरी तरह से स्वतंत्र हो रहा है।

ग्वालियर के फूलबाग मैदान में आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री  तोमर ने कहा कि एक तरफ जहां पंजाब  के किसान भाइयों को गुमराह करने, उनमें भ्रम पैदा करने का काम किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश के किसान मोदी जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा बनाए गए कृषि सुधार काननों के समर्थन में सामने आ कर सम्मेलन कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के कई शहरों में किसान भाइयों ने इन सम्मेलनों में भारी संख्या में पहुंचकर अपना समर्थन व्यक्त किया है। उनके प्रति मैं आभार प्रकट करता हूं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....