Gwalior- साल की अंतिम सुबह कोहरे की चादर ओढ़े मिला शहर, दतिया में पारा 2 डिग्री पर ठिठका  

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना (Corona) के डरावने साये को साथ लेकर चलने वाला साल 2020 आज विदा हो रहा है। इसकी बुरी यादें लेकर लोग इसे विदाई दे रहे है। इसी बीच जाते जाते ग्वालियरवासियों को भी ये साल तेज सर्दी का अहसास करा गया। साल की अंतिम सुबह जब शहर के लोगों ने आँख खोली तो उन्हें शहर कोहरे (Fog) की चादर में लिपटा मिला और साल की अंतिम सुबह कंपकंपाते शुरू हुई। ग्वालियर (Gwalior) के साथ अंचल में भी कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई है।  तापमान लगातार नीचे जा रहा है। हालात ये हैं कि बुधवार को दतिया (Datia) में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

गुरुवार को साल के अंतिम दिन जब लोगों ने आँख खोली तो शहर घने कोहरे की चादर में लिपटा मिला। कोहरा इतना घना था कि सुबह 8 बजे दृश्यता महज 100 मीटर रह गई थी। हाइवे पर दृश्यता और भी कम थी। शहर में दो दिन से शीतलहर जारी है। गुरुवार को सुबह ग्वालियर का न्यूनतम तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है। जिस कारण हाड़ कंपा देने वाली ठंड का अहसास शहरवासियों को हो रहा है।सुबह की सैर करने वाले और सुबह काम पर जाने वाले बहुत परेशान दिखाई दिए।  मौसम वैज्ञानिक सीके उपाध्याय की माने तो अभी कोई सिस्टम सक्रिय नहीं है। उत्तर भारत में पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद वहां से टकराकर हवा शीत लहर में बदल गई है। इसी शीत लहर के कारण दिन और रात के तापमान में तेजी से गिरावट आई है।पूरे उत्तर भारत सहित अंचल में शीतलहर (cold wave) का कहर जारी है। बर्फीली हवा चलने से हाड़ कंपा देने वाली ठंड का कहर बरस रहा है। अंचल के जिले दतिया, भिंड व ग्वालियर, शिवपुरी प्रदेश में सबसे ज्यादा ठंडे बने हुए हैं। उधर बुधवार को भी अंचल के कई जिलों में पारा बहुत नीचे दर्ज हुआ। दतिया (Datia) में सबसे कम 2 डिग्री, भिंड (Bhind) में 3 डिग्री, ग्वालियर (Gwalior) में 3.8 डिग्री और शिवपुरी (shivpuri) एवं मुरैना (Morena) में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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