मानवता शर्मसार: चार बेटों के रहते बुजुर्ग पिता खा रहा दर-दर की ठोकरें

डिंडोरी।प्रकाश मिश्रा।

मां-बाप अपने बच्चों की खुशियों और उन्हें पालने के लिए लिए क्या क्या जतन करते हैं उन्हें समाज में रहने के काबिल बनाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं लेकिन अफसोस तब होता है। जब यही बच्चे बड़े होकर उनकी खुशियों को दरकिनार करते हुए उन्हें दर दर की ठोकरें खाने के लिए अकेला छोड़ जाते हैं। अपनों से मिले इन घावों का दर्द जीवन के उस दर्द से कहीं अधिक होता है। जिसमें उन बच्चों को पालन पोषण करने के लिए जो संघर्ष करने के दौरान मिला था। इन बुजुर्गों के चेहरे पर नजर आती ये झुर्रियां अपने संघर्ष भरे जीवन की गाथा खुद बयां करती हैं।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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