पति, पत्नी और बेटी की गोली मारकर हत्या, मचा हड़कंप, पुलिस की कार्यशैली पर सवाल

Atul Saxena
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रतलाम, सुशील खरे। अज्ञात बदमाशों ने पुलिस (Police)को चुनौती देते हुए शहर के बीचोंबीच एक घर पर धावा बोलकर  पति, पत्नी और बेटी की  गोली मारकर की हत्या (Shot dead)कर दी और फरार हो गए।  तिहरे हत्याकांड से  शहर में हड़कंप मच गया है। पुलिस ने मृतकों के शव को पीएम (Post martem)के लिए भेजकर मामला दर्ज कर लिया है आरोपियों की तलाश में जुट गई है।  इस तिहरे हत्याकांड के बाद  पुलिस की रात्रिकालीन गश्त की खुली पोल खुल गई है।

रतलाम (Ratlam) शहर के औद्योगिक थाना क्षेत्र अंतर्गत अलकापुरी के पास स्थित राजीव नगर में रहने वाले गोविंद, उनकी पत्नी शारदा और 21 वर्षीय बेटी दिव्या का शव गुरुवार सुबह उनके घर से बरामद किया गया। पुलिस के अनुसार किरायेदारों ने घटना की सूचना पुलिस को दी । जिसके बाद एसपी, एएसपी, टीआई  सहित पुलिस के आला अधिकारी और एफएसएल टीम मौके पर पहुंची। परिवार मकान की पहली मंजिल पर रहता था। एसपी गौरव तिवारी (SP Gaurav Tiwari) ने बताया कि तीनों की गोली मारकर हत्या की गई है। पुलिस ने शव को पीएम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है।

इस तिहरे हत्याकांड से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। पुलिस टीम ने घटनास्थल और उसके आसपास के क्षेत्र का बारीकी से निरीक्षण किया। एसपी तिवारी ने बताया कि पुलिस इस मामले की हर एंगल से जांच कर रही है। मृतक सैलून चलाने का काम करता था, वही उनकी बेटी पढाई करती थी और पत्नी हाउसवाइफ थी। आसपास के सीसीटीवी कैमरे की भी जांच की जा रही है।पुलिस के अनुसार जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया है उससे ऐसी आशंका है कि किसी जान पहचान के व्यक्ति ने ही यह घटना की है। पुलिस इस मामले में आसपास के लोगों से भी पूछताछ कर रही है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में घर से स्कूटी की चाबी भी गायब होना सामने आई है। वहीं घर में किसी तरह की लूटपाट या सामान गायब होने की जानकारी सामने नहीं आई है। पुलिस पूरे मामले का खुलासा करने के लिए जुट गई है।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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