डेस्क रिपोर्ट। गर्मी का मौसम संक्रामक रोगों के लिए भी जाना जाता है, गर्मी मे न सिर्फ धूप और गरम हवा के थपेड़े सताते है, बल्कि जरा सी लापरवाही अस्पताल तक पहुंचा देती है, इसीलिए कहा जाता है कि गर्मी का मौसम अपने साथ कई बीमारियां लेकर आता है। इस मौसम में जरा सी लापरवाही जान पर भारी पड़ जाती है, बाहर का खाना, या फिर घर में बनाकर रखा गया खाना देर से खाना, या फिर ज्यादा चटपटा मसालेदार खाना यह भी अस्पताल के चक्कर लगवा सकता है, सबसे ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ती है पानी के लिए, जरा सा दूषित पानी भी जान पर भारी पड़ जाता है इस मौसम में, कई बार गरम और ठंडा एकसाथ खाने की वजह से भी इस मौसम में दिक्कते हो जाती हैं। इसके अलावा गर्मी में हीट और ह्यूमिडिटी बढ़ने की वजह से तापमान ज्यादा हो जाता है, इस कारण बीमारियों का भी खतरा ज्यादा हो जाता है। आज हम आपको बताएंगे 7 ऐसी बीमारियों के बारे में जो गर्मी के मौसम में बहुत आम हैं। साथ ही ये भी बताएंगे कि इन बीमारियों के लक्षण क्या हैं और इनसे बचाव कैसे किया जा सकता है।
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गर्मी के रोग
1. हीट स्ट्रोक या लू लगना
हीट स्ट्रोक को मेडिकल टर्म में ‘हाइपरथर्मिया’ कहते हैं और यह गर्मी के मौसम में होने वाली सबसे कॉमन बीमारी है। लंबे समय तक बाहर धूप में या गर्म तापमान में रहने की वजह से यह बीमारी होती है। हीट स्ट्रोक होने पर मरीज में सिर में दर्द, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना या बेहोशी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इसे लू लगना भी कहते हैं। अगर आपको लू से बचना है तो खाली पेट घर से बाहर बिलकुल ना निकलें और गर्मी में पानी पीते रहें। इसके अलावा हीट स्ट्रोक से बचने के लिए सिर, चेहरे और आंखों को कवर करके रखें।
2. फूड पॉइजनिंग
गर्मियों में होने वाली सबसे कॉमन समस्या फूड पॉइजनिंग है। इस मौसम में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस की भी ग्रोथ अधिक होती है। गर्मी और ह्यूमिड वातावरण में ये रोगाणु तेजी से फैलते हैं और भोजन को दूषित कर देते हैं। इसी दूषित भोजन को खाने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है और पेट से जुड़ी कई और दिक्कतें भी। पेट दर्द, जी मिचलाना, दस्त, बुखार और शरीर में दर्द के लक्षण दिख सकते हैं। इसमें ना सिर्फ पेट मरोड़ के साथ दर्द करता है, बल्कि डायरिया, उल्टी जैसी समस्याएं भी नजर आने लगती हैं। इससे बचने के लिए बासी और पुराना खाना ना खाएं। हमेशा घर का बना ताजा खाना खाएं। बाहर की चीजें खाने से भी परहेज करें। इसके अलाव सब्जियों को बनाने से पहले साफ पानी से धो लें।
3. स्किन पर चकत्ते या घमौरी होना
अप्रैल माह से गर्मी बढ़ने लगती है स्किन पर चकत्ते या घमौरी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसका कारण ये है कि गर्मी में पसीना ज्यादा निकलता है लेकिन अगर टाइट कपड़ों की वजह से पसीना, शरीर से बाहर ना निकल पाए और पसीने की ग्रंथि में ही फंसा रहे तो उस जगह पर लाल-लाल चकत्ते, दाने या घमौरी हो जाती है जिसमें बहुत ज्यादा खुजली होती है। चकत्ते या घमौरी से बचने के लिए गर्मियों में हल्के रंग के, ढीले-ढाले कॉटन कपड़े ही पहनने चाहिए।
4. टायफाइड
टायफाइड एक ऐसी बीमारी है जो दूषित पानी पीने से होती है। आमतौर पर जब संक्रमित बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है तब टायफाइड की समस्या होती है। टायफाइड में तेज बुखार, भूख ना लगना, पेट में तेज दर्द होना, कमजोरी महसूस होना जैसे लक्षण नजर आते हैं। गर्मी के मौसम में टायफाइड का खतरा ज्यादा रहता है। इससे बचने के लिए बाहर का दूषित खाना ना खाएं और साफ पानी पिएं। टायफाइड से बचने के लिए वैक्सीन भी लिया जा सकता है।
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5. मीजल्स और चिकनपॉक्स
गर्मी के मौसम में मीजल्स यानी खसरा और चिकनपॉक्स जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है। मीजल्स और चिकनपॉक्स दोनों ही वायरस से होने वाली बीमारी है। मीजल्स से बचने के लिए वयस्कों के साथ ही नवजात शिशुओं को भी MMR का टीका लगाया जाता है। वहीं, चिकनपॉक्स से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं, सैनिटाइज करें, बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर लाल रंग के चकत्ते दिखना, करीब 7 से 10 दिन तक शरीर पर लाल दाने और चकत्ते बने रहना या बुखार आना चिकनपॉक्स के लक्षण हैं। वहीं चार दिन का बुखार, खांसी, कोरिज़ा (बहती हुई नाक) और आंखों का लाल होना मीजल्स से लक्षण हैं।
6. डिहाईड्रेशन
शरीर में पानी की कमी की वजह से डिहाईड्रेशन हो जाता है। गर्मियों में यह समस्या बहुत आम है लेकिन इसकी वजह से कुछ गंभीर समस्याएं भी हो सकती है। गर्मियों के मौसम में पसीने के जरिए शरीर से बहुत सारा पानी बाहर निकल जाता है। पानी की कमी से बॉडी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है। इसलिए, इस मौसम में खूब पानी और जूस पीना चाहिए।बार बार पानी पीने से बहुत हद तक गर्मियों में स्वस्थ रहा जा सकता है।
7. पीलिया
गर्मियों में पीलिया बच्चे और बड़े, दोनों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। पीलिया को हेपेटाइटिस-ए भी कहते हैं। पीलिया से ग्रसित होने का सबसे बड़ा कारण है दूषित पानी और दूषित खाना। पीलिया में मरीज की आंखे और नाखून पीले होने लगते हैं। इसके साथ ही पेशाब भी पीले रंग की होती है। इसका सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो यह बहुत ही गंभीर रूप धारण कर सकता है। पीलिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है लिवर को स्वस्थ रखना। भोजन जितना सादा होगा, लिवर उतना स्वस्थ रहेगा। अगर पीलिया ठीक हो गया है तो भी कुछ दिनों तक खिचड़ी, दलिया जैसी साधारण चीजें खाते रहें। जिन लोगों को पीलिया हो जाता है, उनके रक्तदान करने पर मनाही होती है। इसलिए अगर पीलिया से ग्रसित है तो खूब आराम करे।