IIM Indore ने गाड़े झंडे, कोरोनाकाल में भी हुआ 100 फीसदी प्लेसमेंट

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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। कोविड -19 (Covid-19) संकट के कारण हुई आर्थिक मंदी (Inflation) में लोगों की नौकरियां चली गई, कई लोगों को काम से तो नहीं निकाला गया पर सैलरी में काफी गिरावट कर दी गई। कोरोना काल (Corona Period) में आए आर्थिक संकट के बावजूद भी इंदौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (Indian Institute of Management, Indore)  में 100 फीसदी प्लेसमेंट (100 percent placement) हुआ है। साथ ही पिछले साल के मुकाबले इस साल छात्रों को 7 प्रतिशत ज्दाया स्टाइपेंड (Stipend) मिला है। आईआईएम इंदौर (IIM Indore) द्वारा जारी की गई प्लेसमेंट रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 बैच के 575 छात्रों का प्लेसमेंट हुआ है, साथ ही इन्हें बीते साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा स्टाइपेंड मिला है। पिछले साल औसत स्टाइपेंड 1.68 लाख रुपये (दो महीने के लिए) था जो कि इस साल 1.8 लाख रुपये रहा।

100 फीसदी मिला प्लेसमेंट


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।