कैबिनेट विस्तार से पहले सिंधिया समर्थक इन नेताओं का इस्तीफा मंजूर, नोटिफिकेशन जारी

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में उपचुनाव (MP By-election) के नतीजे आने के 1 महीने बाद आज कैबिनेट का विस्तार (cabinet expansion) किया जा रहा है। कैबिनेट विस्तार से पहले पूर्व मंत्री और सिंधिया समर्थक इमरती देवी (imarti devi) और गिर्राज दंडोतिया (girraj dandotia) का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। इस मामले में राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है।

दरअसल मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव हारने के बाद शिवराज सरकार में शामिल दो मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था। हार के बावजूद दोनों मंत्री पद पर बने हुए थे। जहां कार्यकाल पूरा होने के बाद दोनों नेताओं ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है और उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि इससे पहले 24 नवंबर को इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा इनके इस्तीफे मंजूर नहीं हुए थे। जिसे आज शिवराज कैबिनेट विस्तार से पहले मंजूर किया गया है। इसकी नोटिफिकेशन भी जारी कर दी गई है।

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संविधान के नियम मुताबिक मंत्री पद की शपथ लेने के बाद कोई भी व्यक्ति 6 महीने तक मंत्री बने रह सकता है। इस दौरान अगर वह सदन का चुनाव हार जाता है तो 6 महीने के बाद उसकी नियुक्ति स्वत समाप्त हो जाएगी लेकिन नैतिकता के आधार पर हारे हुए नेता को खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। लेकिन मंत्री इमरती देवी और गिरराज दंडोतिया ने चुनाव हारने के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था। हालाकि जनवरी 2021 में उनका 6 महीने का कार्यकाल पूरा होने के बाद उनके इस्तीफे को स्वीकार किया गया है।

गौरतलब कि मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित हुए थे। जिसमे शिवराज सरकार के तीन मंत्री बुरी तरह से हार गए थे। इसमें कैबिनेट मंत्री ऐंदल सिंह कंसाना के अलावा मंत्री इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया भी शामिल थे। हालांकि कैबिनेट मंत्री ऐंदल सिंह कसाना ने अगले ही दिन मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। जिसे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा मंजूर भी कर लिया गया था लेकिन इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने इस्तीफा देने से मना कर दिया था।

इमरती देवी का कहना था कि प्रदेश में उनकी सरकार है। इसलिए वह मंत्री बनी रह सकती हैं। गिर्राज दंडोतिया ने कहा था कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और वह मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रक्रियाधीन है। जहां कार्यकाल पूरा होने के बाद दोनों नेताओं ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है और उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है।


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