भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी बोले-चलूंगा, भले ही शर्ट का रंग सफेद से लाल हो जाएं, देखें वीडियो

Pooja Khodani
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Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra : अपनी भारत जोड़ों यात्रा को लेकर महीनों से चर्चा में बने हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का श्रीनगर में एक बार फिर अलग अंदाज देखने को मिला है। यहां राहुल गांधी ने भारी बर्फबारी के बीच ना सिर्फ शानदार भाषण दिया बल्कि सत्ता पक्ष को भी जमकर कोसा। आज सोमवार को यात्रा के समापन के मौके पर श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि मैंने सोचा जो मुझसे नफरत करते हैं, उन्हें एक मौका दूं कि मेरी सफेद शर्ट का रंग बदल दें, लाल कर दें। मेरे परिवार ने, गांधीजी ने मुझे सिखाया है कि अगर जीना है तो डरे बिना जीना है, नहीं तो जीना नहीं है।

4 दिन चलूंगा, बदल दो टी शर्ट का रंग

राहुल गांधी ने कहा  मगर जो मैंने सोचा था, वही हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया, अपने दिल खोलकर प्यार दिया। गले लगे।  मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षा बलों से कुछ कहना चाहता हूं। देखिए मैं हिंसा को समझता हूं। मैंने हिंसा सही है, देखी है। जो हिंसा नहीं सहता है, जिसने हिंसा नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आएगी।

मोदी-शाह ने नहीं देखी हिंसा

सत्ता पक्ष पर हमला करते हुए राहुल ने कहा कि जैसे मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, संघ के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है। डरते हैं। यहां पर हम 4 दिन पैदल चले। गारंटी देता हूं कि भाजपा के कोई नेता ऐसे नहीं चल सकते हैं। इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, इसलिए क्योंकि वे डरते हैं।  मेरे दिल में था कि रास्ता आसान होगा, मैंने सोचा था कि चलना मुश्किल काम नहीं होगा, लेकिन थोड़ा सा अहं आ गया, लेकिन फिर बात बदल गई। कन्याकुमारी के 5-7 दिन बाद घुटने में दिक्कत आई थी, सारा अहंकार धराशाई हो गया, फिर विचार आया कि कैसे चल पाऊंगा। लेकिन मैंने किसी न किसी तरीके से यह काम पूरा कर दिया। मैंने यह दर्द कैसे भी करके सह लिया।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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