Indore News : मुक्तिधाम में अस्थियां बदली, बनी विवाद की बड़ी वजह

Atul Saxena
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इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। कोरोना काल (Corona Crisis) में जहां अस्पतालों (Hospitals) में कई बार शव बदलने की घटना सामने आ चुकी हैं इसके बाद अब मुक्तिधाम (Muktidham) में अस्थियां बदलने का मामला सामने आया है। इस मामले में अस्थियों के विसर्जन के बाद दो पक्ष आमने सामने हो गए जिसके बाद पुलिस (Police) ने मुक्तिधाम में मोर्चा संभालते हुए पूरे मामले को शांत कराया।

दरअसल, इंदौर के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में स्थित रीजनल पार्क मुक्तिधाम में सोमवार सुबह क्षेत्र में ही रहने वाला परिवार तीसरे दिन मृतक गिरिजाबाई कुशवाह की अस्थियां (फूल) लेने के लिए पहुँचे तो साफ-सफाई देख कर चौंक गए। जिसके बाद परिजनों ने तत्काल आपत्ति कर मुक्तिधाम के कर्ता-धर्ताओं से संपर्क किया। तब परिजनों को बताया गया कि उनके मृतक की अस्थियां तो दूसरे लोग ले गए हैं जिसके बाद परिजनों ने अस्थियां ले जाने वाले लोगों से संपर्क कर उन्हें मुक्तिधाम बुलाया।

Indore News : मुक्तिधाम में अस्थियां बदली, बनी विवाद की बड़ी वजह

मृतक गिरिजाबाई कुशवाह के परिजन नितिन कुशवाह का आरोप है कि कोविड से मौत होने के कारण उन्होंने दाह संस्कार किया था।  बाकायदा 4 नम्बर की पर्ची भी कटाई थी लेकिन इस तरह की लापरवाही से परिजन दुखी और आहत है। इसके बाद मौके पर विवाद की स्थिति बन गई।

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रीजनल पार्क मुक्तिधाम में अस्थियों की हेराफेरी के बाद दूसरे पक्ष की अस्थियों को ले जाकर विसर्जन करने वाले लोग भी मुक्तिधाम पर पहुंच गये। दूसरे पक्ष के मृतक के परिजन खेमराज ने बताया कि उन्हें मुक्तिधाम के द्वारा जो पर्ची दी गई थी और जो अस्थियां बताई गई थी उसी को वह अपने साथ ले गए थे और पूरे विधि विधान के साथ अस्थियों का विसर्जन कर दिया। लेकिन जब पता चला कि दूसरों की अस्थियां ले आए हैं और उनके मृतक परिजन की अस्थियां अभी भी वहीं हैं तो वह दोबारा से यहां पर अपने परिजन की अस्थियां लेने आए हैं और सामने वाले पक्ष से मुक्तिधाम के संचलाकों की  गलती से हुई गलतफहमी के लिए माफी मांगी है।

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इस पूरे मामले में मुक्तिधाम में विवाद की स्थिति बनती देख मुक्तिधाम के कर्मचारियों द्वारा पुलिस को भी मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों ही पक्षों से बातचीत कर उन्हें अध्यात्म का पाठ सिखाया और जैसे तैसे पूरे मामले को शांत कराया है। हालांकि मुक्तिधाम प्रशासन से हुई गलती ये बताने के लिए काफी है कि कई अस्पतालों और मुक्तिधामों से इंसान की मौत और इंसानियत को मजाक बनाकर कर रख दिया जिसे लेकर अब कई सवाल उठ रहे हैं वही ताजा मामले को पुलिस भी अमानवीय मान रही है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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