Bird Flu के कारण कड़कनाथ को किया जा रहा आइसोलेट, पिलाया जाएगा हल्दी वाला पानी

Gaurav Sharma
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झाबुआ, डेस्क रिपोर्ट। इन दिनों कोरोनावायरस (Coronavirus) के बाद बर्ड फ्लू (Bird flu) जैसी बीमारी ने दस्तक दे दी है। केरल और अन्य राज्यों के साथ-साथ अब मध्यप्रदेश में भी बर्ड फ्लू (Bird flu) का प्रभाव देखा जा रहा है। जिसके चलते मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के झाबुआ जिले के प्रसिद्ध प्रजाति कड़कनाथ मुर्गा (Famous species Kadaknath) और उनके चूजों को आइसोलेट (Isolate) किया जा रहा है। वहीं बर्ड फ्लू की शिकायत मिलने के बाद कड़कनाथ मुर्गे (Kaddanath chicken) को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें जल्द ही हल्दी वाला पानी (Turmeric water) पिलाया जाएगा।

फार्म हाउस का निरीक्षण करने पहुंचे पशु चिकित्सक

बता दें कि मंगलवार को जांच के लिए पशु चिकित्सक (veterinary doctor) विशेष रूप से थांदला के पास रूंडीपाड़ा गांव पहुंचे, क्योंकि यहीं से कड़कनाथ मुर्गे का आर्डर (Karkanath chicken order) धोनी ने रांची भेजने के लिए दिया है। झाबुआ (Jhabua) जिले के कुकुट पालन केंद्र (Poultry center) के प्रभारी डॉ एएस दिवाकर ने केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान मुर्गी पालकों को कहा कि पक्षियों में विटामिन बढ़ाने वाली दवा उनको देनी है। साथ ही उनको तंदुरुस्त रखने के लिए पानी में हल्दी की कुछ मात्रा मिलाकर उन्हें पिलाया जाए। वहीं पर विनोद मेड़ा का फार्महाउस, जहां से महेंद्र सिंह धोनी को कड़कनाथ मुर्गा का चूजा भेजा जाना है। बता दें कि दिसंबर माह में ही महेंद्र सिंह धोनी को कड़कनाथ की सप्लाई होनी थी, लेकिन मौसम में परिवर्तन आने की वजह से यह संभव नहीं हो पाया।

कड़कनाथ फार्म हाउस को किया गया आइसोलेट

बर्ड फ्लू का खतरा जिले वासियों को तब पता चला, जब एक कॉलोनी में मंगलवार को एक कबूतर मृत पाया गया और देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। क्योंकि इन दिनों कृषि विज्ञान केंद्र और पशुपालन विभाग ने कड़कनाथ फार्म हाउस को आइसोलेट कर दिया है। जहां से ना तो चूजे बाहर आ सकते हैं और ना ही अंदर जा सकते हैं। जिनकी देखरेख के लिए पशुपालन विभाग की टीम द्वारा गाइडलाइन दिया जा रहा है। बता दें कि झाबुआ जिले के कृषि विज्ञान केंद्र और पशुपालन विभाग के केंद्रों पर कड़कनाथ मुर्गें की संख्या 500-500 है।

प्रशासन अलर्ट पर

प्रदेश में पक्षियों को लेकर चिंता इसलिए जताई जा रही है, क्योंकि कुछ दिनों से अचानक पक्षियों की मौत होने की खबर चर्चाओं में है। इंदौर जिले में 2 मृत कौआ मिले, जिसमें H-1 N-1 वायरस की पुष्टि हुई है। जिसे बर्ड फ्लू वायरस बताया जा रहा है। जिसे देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने प्रशासन को अलर्ट पर रखा हुआ है। साथ ही कहा है कि अगर कहीं पर भी एक साथ अचानक पक्षियों की मौत होती है, तो वहां पर तुरंत पहुंचे और सैंपलिंग का कार्य शुरू करें। फिलहाल जिले में अभी तक बर्ड फ्लू की शिकायत नहीं मिली है, लेकिन इस बीमारी की खबरों से लोग डरे हुए है।

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने दिया कड़कनाथ का ऑर्डर

मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर (Jhabua and Alirajpur) जिले का कड़कनाथ मुर्गा (Kaddanath chicken) पूरे देश में फेमस है। इसी के चलते क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी (Cricketer Mahendra Singh Dhoni) ने भी अपने फार्महाउस (farm house) के लिए यहीं से कड़कनाथ मुर्गें और उनके चूजों की सप्लाई के लिए ऑर्डर दिया है। कोरोनाकाल में कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड (Karkanath chicken demand) काफी बढ़ गई थी। ऐसा माना जा रहा था कि कड़कनाथ में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) पाई जाती है, लेकिन अब उसी कड़कनाथ मुर्गे पर बर्ड फ्लू का खतरा (Bird flu risk) मंडरा रहा है। जिसके चलते उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है।

क्रिकेटर धोनी भी करने वाले है कड़कनाथ का कारोबार

कोरोनाकाल में कड़कनाथ मुर्गे (Kaddanath chicken) की बढ़ती डिमांड को देखते हुए क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी (Cricketer Mahendra Singh Dhoni) भी इसका कारोबार (Kakadnath’s business) शुरू करने वाले थे। जिसके चलते उन्हें कड़कनाथ मुर्गे की सप्लाई करनी है, इसी को देखते हुए सरकारी और निजी कड़कनाथ फार्म की लगातार जांच हो रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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