BJP meetings: उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने 2027 विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। इसके संकेत हाल ही में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की दो दिनों में दो बड़े केंद्रीय नेताओं – अमित शाह और राजनाथ सिंह – से मुलाकातों से मिलते हैं। इन बैठकों को सिर्फ औपचारिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि गहरी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
केशव मौर्य ने अमित शाह से मुलाकात की
पहले 8 जुलाई को केशव मौर्य ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद खुद मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 2027 में 2017 जैसी जीत दोहराने को लेकर उन्होंने शाह से मार्गदर्शन लिया। यह स्पष्ट करता है कि बीजेपी अब मिशन 2027 के लिए गंभीर हो गई है। अमित शाह को भारतीय राजनीति का रणनीतिकार माना जाता है और उनकी भूमिका इस चुनाव में भी अहम होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की
इसके अगले दिन 9 जुलाई को केशव मौर्य ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। उन्होंने इसे राजनाथ सिंह को जन्मदिन की बधाई देने के लिए शिष्टाचार भेंट बताया, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे चुनावी तैयारी की कड़ी माना जा रहा है। राजनाथ सिंह की छवि एक संतुलित और सभी वर्गों में स्वीकार्य नेता की है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में प्रदेश सरकार के कामकाज और पार्टी की स्थिति पर फीडबैक साझा किया गया।
2027 को 2017 जैसी जीत में बदलना चाहती
इन मुलाकातों की खास बात यह है कि बीजेपी अब 2027 को 2017 जैसी जीत में बदलना चाहती है। पार्टी के भीतर बैठकों और मंथनों का दौर शुरू हो चुका है। केशव मौर्य को एक बार फिर पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता के तौर पर सामने लाया जा रहा है ताकि समाजवादी पार्टी के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ को टक्कर दी जा सके।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी अब आक्रामक संगठनात्मक रणनीति (अमित शाह) और संतुलित नेतृत्व छवि (राजनाथ सिंह) के संतुलन के साथ आगे बढ़ना चाहती है। वहीं विपक्ष, खासकर अखिलेश यादव, भी पूरी ताकत से मुकाबले की तैयारी में है.





