भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
नगर निगम (Nagar Nigam) ने शहर में सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals), बस स्टैंड (Bus Stand) और रेलवे स्टेशनों (Railway Station) सहित 15 स्थानों पर रैन बसेरे (Shelter Home) बनाए हैं। लेकिन सुल्तानिया जनाना (Sultaniya Hospital) अस्पताल, हमीदिया (Handiya) और जेपी अस्पताल (JP Hospital) में भर्ती मरीजों के परिजन हों या फिर बेघर गरीब इन दिनों इन सभी को सड़कों के किनारे फुटपाथ (Footpath) पर ही अपनी रातें गुजारनी पड़ रही है। क्यों कि कोरोना के संक्रमण के चलते रैन-बसेरों में इन दिनों ताले लटके हुए हैं।
भोपाल में पिछले चार महीनों से रेन बसेरों बंद है। शहर में 16 मार्च से सभी रैनबसेरों को कोरोना के संक्रमण के चलते बंद कर दिया गया था। तब से यहां पर ताले लटके हुए है या फिर गार्ड को तैनात किया हुआ है। जिसके चलते अब अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन और बेघर गरीब सड़क किनारे फूटपाथ पर खुले आसमान के नीचे अपनी रात बिताने को मजबूर है।
वहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल के सामने रेनबसेरा है लेकिन मजबूरी बताने के बाद भी ठहरने नहीं देते है। सभी अस्पताल हॉकर्स कॉर्नर और फुटपाथ पर रात बिताते हैं। इधर, नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि रैनबसेरों में लोगों की भीड़ अधिक होती है ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना काफी मुश्किल है। जब तक कोरोना संक्रमण रहेगा, रैन बसेरे नहीं खोले जाएंगे।
गौरतलब है कि, शहर में 15 रैनबसेरे बनाए गए है इन रैन बसेरों में पांच रुपए का शुल्क लेकर रात मुसाफिरों के साथ ही अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों और बेघर लोगों को रात बिताने की जगह दी जाती है। यहां निगम की तरफ से ठहरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पलंग, गद्दा, तकिया और कंबल दिया जाता है।