लूटेरा दूल्हा : महज 6 दिन में की दो शादियां, दहेज लेकर फरार, मामला दर्ज

इंदौर

खंडवा, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में लुटेरी दुल्हन (Looteri Dulhan) के मामले कम थे जो अब लुटेरे दूल्हे का मामला भी सामने आया है। मध्य प्रदेश से एक ऐसे लुटेरे दूल्हे का वाक्या सामने आया है जिसने सिर्फ 6 दिन में दो शादी (two Marriage) की है। यह लुटेरा दूल्हा मूसाखेड़ी इंदौर (Indore) का रहने वाला है और पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) है। इसने सिर्फ 6 दिन के भीतर दो शादियां की और दोनों ससुराल से मिला दहेज और नगद लेकर फरार हो गया। वारदात करने के बाद से ही वह अपने घर पर नहीं लौटा है और उसका मोबाइल भी बंद चल रहा है।  इस लुटेरे दूल्हे ने जिस लड़की से पहले शादी की थी वो खंडवा की रहने वाली है। उसके परिजनों ने इसके खिलाफ केस दर्ज कराया है, साथ ही आरोपी को पकड़ कर सख्त कार्रवाई करने के लिए एसपी को आवेदन भी दिया है।

गौरतलब है कि का खंडवा (Khandwa) के रहने वाले मोहन पंचाल की 25 साल की बेटी पूजा की शादी इंदौर के मूसाखेड़ी के रहने वाले नवीन पंचाल जो कि 26 साल का है उससे 4 महीने पहले शादी तय हुई थी। बीते 2 दिसंबर को पूजा और नवीन की शादी सभी रीति रिवाज के साथ पूरी हुई, जिसमें दोनों के परिजनों के साथ साथ इनके रिश्तेदार और दोस्त भी शामिल हुए। मोहन पंचाल ने अपनी इकलौती बेटी की शादी पर उसे गृहस्थी का सारा सामान दिया था। बताया जा रहा है कि पूरी शादी में मोहन पंचाल के 10 लाख रुपए खर्च हुए थे। वहीं विदाई के बाद पूजा अपने ससुराल पहुंच गई थी। उसके कुछ समय बाद नवीन ने पूजा से कहा कि मुझे कुछ काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए भोपाल (Bhopal) जाना पड़ेगा और इतना कह कर वो वहा से चला गया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।