भोपाल डेस्क रिपोर्ट। नगरीय निकाय चुनावों (Urban Body Election) से पहले महापौर (Mayor) और अध्यक्षों (President) की आरक्षण प्रक्रिया को गलत बताते हुए उसपर रोक लगाने के ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior HC) के फैसले को अब मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट (SC) में चुनौती देगी। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट (SC) में विशेष अनुमति याचिका लगाने के लिए प्रशासकीय अनुमति नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) ने दे दी है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों में महापौर (Mayor) और अध्यक्ष (President) के पद को आरक्षित (Reservation) करते हुए मप्र सरकार (MP Government) द्वारा 10 दिसंबर 2020 को जारी नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली एक याचिका की शनिवार को सुनवाई करते हुए आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी । इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
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याचिकाकर्ता अधिवक्ता मानवर्द्धन सिंह तोमर नगरीय निकाय चुनावों (Urban Body Election) की आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior HC) में जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बैंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि रोटेशन पद्धति की अनदेखी करते हुए अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण किया गया इससे एक ही वर्ग का व्यक्ति को लाभ मिलेगा और दूसरे वर्ग के व्यक्ति इस लाभ से वंचित रह जाएगा। इसलिए आरक्षण प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई जाती है।
इसी महीने में नगरीय निकाय चुनावों (Urban Body Election) की घोषणा की संभावनाओं के बीच शनिवार की देर शाम आये ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior HC) के फैसले सरकार को झटका दे दिया। लेकिन ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior HC) के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (SC ) जाने का फैसला किया है। मंत्रालय सूत्रों के सरकार के मुताबिक सरकार सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करेगी जिसके लिए प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) ने प्रशासकीय अनुमति दे दी है।
मंत्रालय सूत्र बताते हैं कि सरकार का मानना है कि महापौर (Mayor) और अध्यक्ष (President) के आरक्षण के लिए जो प्रक्रिया अपने गई है वो 1994 में बने नियमों के अनुसार है। सरकार का कहना है कि 10 दिसंबर 2020 को जारी नोटिफिकेशन में किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं है। सरकार इसी बात को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। यदि सुप्रीम कोर्ट (SC) विशेष अनुमति याचिका (SLP) की सुनवाई पर यदि हाईकोर्ट (HC) के फैसले को सही ठहराता है तो सभी नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष के लिए फिर से आरक्षण किया जायेगा।