सतना। पुष्पराज सिंह बघेल।
मध्यप्रदेश का सतना जिला अवैध उत्खन को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है।पूर्व में भी परसमनिया पहाड़ पर पत्थर पटिया का अवैध उत्खन बेल्लारी की तर्ज पर हुआ और करोड़ो की रॉयल्टी चोरी कर शासन को चुना लग चुका है ।वही एक बार फिर खनिज माफियाओ का खुला खेल शुरू हो गया है। कोटर तहसील के चितघड़,राखोंधा इलाके में बेशकीमती पत्थर लेटराइट का जमकर अवैध उत्खन किया। लॉक डाउन के तीन महीने खनिज माफियाओ ने इलाके में पहाड़ खोदकर समतल कर दिया।
माफियाओ के दिन रात चले इस अभियान में स्थानीय बस्ती वासियो के घरों के रास्ते भी नही बचे बस्ती से होकर जाने वाले रास्ते खाई में तब्दील हो गए है।लगातार शिकायत के बावजूद भी प्रशसन के कान में जूँ तक नही रेंगी जैसे तैसे अब जब प्रशसन नींद से जगा तो महज एक जे सी बी और दो डम्फर जप्त कर कार्यवाही की इति श्री कर ली जबकि इलाके में अवैध उत्खनन के तार सतना से नेपाल तक जुड़े है।जो बेश कीमती खनिज का दोहन कर रहे हैं।
एक तरफ वैश्विक महामारी पैर पसार रही थी और देश भर में लॉक डाउन था तो वही दूसरी तरफ खनिज माफियाओ का खुला खेल जारी था।इस दौरान माफियाओ ने राखोंधा, चितगढ़,में लेटराइट खोदकर ऊंचे पहाड़ समतल कर डाले।जिस पर सूचना मिलने पर अनन फानन में नायाब तहसीलदार ने कार्यवाही को अंजाम तो दे दिया जिसमे जिला बदर के आरोपी अशोक द्विवेदी के दो डम्फर और जे सी बी जप्त कर ली जो लम्बे समय से इस अवैध कारनामे में लिप्त था।लेकिन आरोपी अभी भी फरार है।जबकि शिकायत करता कई महीनों से इस अवैध उत्खनन की शिकायत लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहा था।शिकायत करता की माने इस इलाके में खनिज माफियाओ का अंतर राष्ट्रीय गिरोह काम कर रहा है जो न सिर्फ राजस्व बल्कि प्राकृतिक और भगवान राम की धरोहर को मिटाने में लगा है।
खनिज के अवैध दोहन ने यहां की भौगोलिक सरंचना ही खत्म कर दी है।रास्ते खाई में तब्दील है।और पहाड़ समतल हो चुके है दिन रात जिला प्रशासन से बेखोफ खनिज माफियाओ ने स्थानीय ग्रामीणों के घर तक नही छोड़े तीन महीने से लॉक डाउन में चले अवैध उत्खनन से ग्रामीणों के आगे अब बरसात में अपने बच्चों पर जान का खतरा मंडराता देख दहसत में हैं। तहसीलदार की माने तो इलाके में अवैध उत्खनन जमकर हुआ है।जिसपर बीते दिन कार्यवाही भी हुई।यहाँ हो रहे अवैध उत्खनन पर जिला स्तर पर बड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। सतना जिले में खनिज का भंडार है ।जिस पर न सिर्फ सीमेंट उद्योग की वहसी निगाह है बल्कि जिला प्रशासन की मूक सहमति के चलते खनिज माफिया की सक्रियता हमेशा रही है।जिसके परिणाम है कि प्राकृतिक और पुरातत्विक धरोहर पर अस्तित्व के काले बादल मंडराने लगे है।