नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना की मार झेल रही दुनिया में अब एक और बीमारी ने दस्तक दी है। दुनियाभर में मंकीपॉक्स (monkeypox) के मामले अब तेजी से बढ़ने लगे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा खतरा यूरोप को है, जहा शुक्रवार को पहली बार रिकॉर्ड संख्या में मंकीपॉक्स के मामले दर्ज किए गए।
जानकारी के मुताबिक, अभी तक यूरोप में 100 के करीब मंकीपॉक्स मरीज मिल चुके हैं। तेजी से बढ़ते मामलों को गंभीरता से लेते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक इमरजेंसी बैठक की है। इस बैठक में इसे बड़े स्तर पर फैलने से रोकने के मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान इस बात पर भी बहस हुई कि क्या मंकीपॉक्स को महामारी घोषित कर देना चाहिए?
महामारी नहीं बन पाएगी मंकीपॉक्स
हालांकि, यूरोपियन देशों में मंकीपॉक्स बहुत तेजी से पैर पसार रहा है, लेकिन इस सब के बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये बीमारी महामारी नहीं बन पाएगी क्योंकि कोरोना वायरस के मुकाबले इसका संक्रमण रेट बहुत कम है।
रॉबर्ट कोच इंस्टिट्यूट के एक प्रोफेसर फैबियन के मुताबिक, एपिडेमिक का ज्यादा लंबे समय तक खींचना मुश्किल है। इस बीमारी के मामलों को आसानी से आइसोलेट किया जा सकता है और एक जगह तक सिमित किया जा सकता है। वैक्सीन से भी इसके असर को काफी कम किया जा सकता है। रिसर्च के अनुसार स्मॉलपाक्स के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी 85 फीसदी तक असरदार है।
जानकारी के मुताबिक,अस्पताल में भी जो मरीज भर्ती हो रहे हैं, किसी भी कोई गंभीर लक्ष्ण नहीं है।
उधर, डब्लूएचओ (WHO) के यूरोपीयन चीफ इस मंकीपॉक्स को लेकर ज्यादा ही चिंतित हैं। अभी तक बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पॉर्चुगल, स्पेन, स्वीडन और ब्रिटेन मिलाकर कुल 9 यूरोपियन देश इस बीमारी की चपेट में आ गए है।
ये है मंकीपॉक्स के लक्षण –
संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार
तेज सिरदर्द
सूजन
पीठ दर्द
मांसपेशियों में दर्द
थकान
मंकीपॉक्स के लक्षण लगभग चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसे ही है। बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है, जहां शरीर पर दाने निकल आते हैं।
आपको बता दे, यूरोपीयन देशों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 7 मई को सामने आया था। संक्रमित व्यक्ति नाइजीरिया से आया था। हालांकि, मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले अफ्रीकी देशों से निकलकर सामने आ रहे है।