भोपाल।
मध्यप्रदेश में बहुप्रतीक्षित शिवराज कैबिनेट के विस्तार(much awaited Shivraj cabinet expansion in Madhya Pradesh) के बाद अब विभागों का भी बंटवारा कर दिया गया है। जिसके बाद निश्चित तौर पर अब पार्टी 25 विधानसभा सीटों(Party 25 assembly seats) पर होने वाले उपचुनाव(by-election) को लेकर रणनीतियां बनाने में लगी है। इसी बीच दोनों पार्टियों का फोकस प्रदेश के ग्वालियर चंबल इलाके की 16 विधानसभा सीटों पर होना निश्चित है। इसको लेकर कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल में ही अपने तत्कालिक कार्यालय को स्थापित किया है। इसी के साथ कांग्रेस बसपा सहित अन्य पार्टी से खफा नेताओं को अपने पक्ष में करने की कवायद में जुट गई है।
दरअसल 25 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस रूठो को अपनी पार्टी में जगह देने की राजनीति पर बेहद संजीदगी से काम कर रही है। जहां एक तरफ कांग्रेस(congress) बीजेपी(bjp) के असंतुष्ट नेताओं के साथ संपर्क बनाने की कोशिश में लगी है। वहीं दूसरी तरफ ग्वालियर चंबल इलाके(Gwalior Chambal Area) में जातीय समीकरण को देखते हुए वह बसपा(BSP) नेताओं पर भी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। इसी बीच बसपा ने भी उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया था। जहां आप कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य अपनी रणनीतियों को धार देते हुए बसपा नेताओं को साधने पर है। इसके लिए पार्टी ने ग्वालियर चंबल इलाके में जो टीम गठित की है उसमें ऐसे नेताओं को कमान सौंपी गई है। जिनके संबंध बसपा नेताओं के साथ काफी अच्छा है। वहीं यह नेता ग्वालियर चंबल संभाग में एक सटीक वर्चस्व भी रखते हैं।
इससे पहले हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ(Former Chief Minister Kamal Nath) के दिल्ली दौरे के दौरान बसपा प्रमुख मायावती से उनके उपचुनाव को लेकर चर्चा भी हुई है। जिसके बाद से ये अटकलें तेज हैं कि उपचुनाव में बसपा कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि फिलहाल इस पर कोई सहमति बनते दिखाई नहीं दे रही है।इसी बीच पूर्व मंत्री लखन सिंह यादव(Former Minister Lakhan Singh Yadav) ने भी अपने बयान में कहा था कि चुनाव से पहले बड़ी संख्या में बसपा कार्यकर्ता कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि इन इलाकों में कांग्रेस को बसपा से कोई चुनौती नहीं मिलने वाली है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में 25 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती(BSP supremo Mayawati) ने ऐलान किया था कि वह इस बार सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। वही पार्टी अध्यक्ष रमाकांत पीप्पल ने बताया था कि बसपा बिना किसी गठबंधन के मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव अपने बलबूते पर लड़ेगी। वहीं उन्होंने साफ किया था कि प्रत्याशियों की लिस्ट मायावती को सौंपी जाएगी। जिसके बाद मायावती के निर्णय पर ही प्रत्याशियों का चुनाव किया जाएगा। जैसा कि आपको ज्ञात है स्टेशनों में भी बसपा ने सियासी समीकरण बिगाड़ने का काम किया था। हालांकि 2018 के चुनाव में बसपा ने चुनाव लड़े थे जिनमें 2 सीट पर ही उसे जीत हासिल हुई थी। इसी के साथ कई ऐसे सीटें थी जहां बसपा ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के वोट काटे थे। वहीं इस बार ग्वालियर चंबल में जातीय समीकरण के माहौल को देखते हुए कांग्रेस बसपा के साथ मिलकर मौका साधने की कोशिश में है। अब यह देखना दिलचस्प है कि इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती का क्या रुख होता है।