भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। दीपों के त्योहार (Diwali) से पहले घरों को रोशन करने के लिए बाजारों में तरह-तरह के उत्पाद सजाए गए हैं। यह बेहद बजट अनुकूल होने के बावजूद चीनी सजावटी उत्पादों को छोड़ रहे हैं और Vocal For Local की तरफ बढ़ते हुए भारतीय लाइटिंग और मिट्टी के दीयों का चयन कर रहे हैं। इसी बीच अब शिवराज सरकार (Shivraj government) ने वोकल फॉर लोकल को सुदृढ़ करते हुए बड़ा फैसला लिया है।
दरअसल राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 132, सहपठित धारा 336, मध्य प्रदेश नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 163 सहपठित धारा 426(A) के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए बड़ा फैसला लिया गया है। इसके मुताबिक दीपावली पर्व के अवसर पर स्थानीय ग्रामीण कारीगर एवं गरीब महिलाओं द्वारा संचालित स्व सहायता समूह के द्वारा दीपावली पर्व हेतु निर्मित किए गए मिट्टी और गोबर के दीपक/दीपमाला तथा विभिन्न धार्मिक प्रतीकों के विक्रय पर बाजारी शुल्क से छूट प्रदान की गई है।
इस मामले में राज्य शासन ने आदेश जारी करते हुए नगर पालिका, निगम, नगर पालिका परिषद और नगर परिषद को निर्देश दिए हैं कि क्षेत्र में लाए जाने वाले और विक्रय किए जाने वाले निर्मित मिट्टी एवं गोबर के दीपक/दीपमाला और विभिन्न धार्मिक प्रतीकों पर शुल्क से छूट दी गई है।
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पर्यावरण संरक्षण तथा स्थानीय कौशल एवं उस पर आधारित स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से बाजारी कर और शुल्क से छूट प्रदान की जाए और यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। राज्य शासन ने अपने आदेश में लिखा है कि दीपावली पर्व के उपलक्ष पर 7 नवंबर तक यह आदेश प्रभावशील रहेंगे।
दरअसल मोदी के वोकल फॉर लोकल के आव्हान पर अब लोग इनकी तरफ अग्रसर हो रहे है। बाजार से दिवाली के लिए देसी मिट्टी के दीये, कागज की लालटेन से लेकर परी रोशनी और तरह-तरह के दीये, ये हर जेब पर सूट करने वाले उत्पाद हैं।
मिट्टी के दीये खरीदते समय स्थानीय निवासी ने कहा कि हमें चीनी उत्पाद क्यों खरीदने चाहिए? हमें मिट्टी के दीये खरीदकर अपने स्थानीय छोटे व्यापार मालिकों का समर्थन करना चाहिए। इसलिए, पिछले कुछ सालों से भारतीय समाज स्थानीय नीति के लिए मुखर हो रहा है।