MP में बिना OBC आरक्षण के होंगे पंचायत-निकाय चुनाव, रिव्यू पिटीशन लगाएगी सरकार, पढ़े कांग्रेस का रिएक्शन

Pooja Khodani
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मप्र पंचायत चुनाव 2022

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  मध्य प्रदेश में  पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनावों 2022 पर बड़ी अपडेट सामने आई है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के चुनाव कराएं जाएंगे।  वही कोर्ट ने 15 दिन के अंदर पंचायत चुनाव एवं नगर पालिका चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए है।

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इस फैसले के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, एक तरफ शिवराज सरकार रिव्यू पिटीशन दायर करने की तैयारी में है तो नहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।हालांकि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने चुप्पी साध रखी है, अबतक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का कोई कमेंट सामने नहीं आया है।

जाने माने वकील, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंचायती और नगरीय निकायो के सम्बंध में आज आ गया।यह निर्णय पूर्व निर्धारित सुप्रीम कोर्ट के नजीर आर ट्रिपल टेस्ट के मापदंड के अनुरूप है।समय रहते यदि मध्यप्रदेश सरकार निर्धारित कदम ले लेती तो ये स्थिति ओबीसी आरक्षण को लेकर नही होती।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि शिवराज सरकार की वजह से प्रदेश की 56 प्रतिशत आबादी को भाजपा सरकार के षडयंत्र के कारण अपने वाजिब अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा, पिछड़ा वर्ग से ही संबध मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी, यह सौदा और षणयंत्र भविष्य में आपके लिए घातक होगा ।हमें इसी बात की आशंका थी, अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सरकार की घोर लापरवाही के कारण, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का वह एजेंडा लागू हो गया है जिसमें “आरक्षण समाप्ति” की बात की गई थी।

कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जफर ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर ट्वीट कर लिखा है कि ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को माना अधूरा अधूरी रिपोर्ट होने के कारण मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग को नहीं मिलेगा पंचायत एवं नगर पालिका में आरक्षण। प्रदेश सरकार की प्रशासनिक भूल या ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बड़ा षड्यंत्र।जल्द करेंगे हम खुलासा।डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संविधान की जीत प्रदेश सरकार द्वारा लगातार गैर संवैधानिक कार्यों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार कोर्ट का अहम फैसला 15 दिन के अंदर पंचायत एवं नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करें प्रदेश सरकार ।

 

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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