भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में स्कूलों (mp school) द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूले जाने के मामले में बहुत विवाद हो चुका है। इसके बाद हाईकोर्ट (highcourt) और राज्य सरकार ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए निजी स्कूलों को कोरोना काल में सिर्फ ट्यूशन फीस के वसूली के निर्देश दिए हैं। हालांकि इस बात पर भी प्रदेशभर के अभिभावक आक्रोश में है और लगातार निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूले जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
इसी मामले को लेकर रविवार को राजधानी भोपाल चिनार पार्क में मध्यप्रदेश पालक महासंघ द्वारा बैठक आयोजित की गई। जहां निजी स्कूल द्वारा मनमानी फीस बढ़ोतरी को लेकर विरोध जताया गया। इस दौरान फीस बढ़ोतरी की विसंगतियों पर चर्चा करते हुए पालक महासंघ ने मांग की है कि राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को हर साल 10 फ़ीसदी फीस बढ़ाने का अधिकार दिया है। जिसके बाद हमने जी स्कूल मनमाने तरीके से स्कूली फीस में वृद्धि करेंगे। वहीं पर गुमान सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय और राज्य सरकार के आदेश का उल्लंघन लगातार निजी स्कूलों द्वारा किया जा रहा है। जहां मनमाने ढंग से फीस बढ़ोतरी की जा रही है।
इसके साथ ही पालक महासंघ ने मांग की है कि फीस वृद्धि से पहले निजी स्कूलों के 3 वर्ष का ऑडिट किया जाए। जिसके बाद ही उन्हें तीन से पांच फ़ीसदी तक फीस बढ़ाने की अनुमति दी जाए। निजी स्कूलों द्वारा हर विषय के अलग-अलग किताबों का जिक्र करते हुए भी अभिभावक संघ ने कहा कि सीबीएसई स्कूल में सभी कक्षाओं के लिए सिर्फ एनसीईआरटी की किताबों को अनिवार्य किया जाए अन्य किताबों की अनिवार्यता को पूरी तरह से समाप्त किया जाए। इसके अलावा अभिभावकों की भी मांग है की मनमानी तरीके से स्कूलों की फीस बढ़ाने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द की जाए और सीबीएसई के नियम के तहत उन पर 5 लाख का जुर्माना लगाया जाए।
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बता दें कि मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान स्कूल को पूरी तरह से बंद किया गया था। जिसके पास भी निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी की जा रही थी। इस मामले में अभिभावक संघ ने राज्य सरकार और उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी जिसने कहा था कि कोरोना काल के दौरान निजी विद्यालय सिर्फ ट्यूशन फीस की वसूली कर सकेंगे। वहीं इस दौरान निजी स्कूल फीस में बढ़ोतरी भी नहीं कर पाएंगे।
हालांकि निजी स्कूल संगठनों की मांग के बाद राज्य सरकार ने नए सत्र में ट्यूशन से बढ़ोतरी के लिए नियम निर्धारित कर फीस बढ़ोतरी के आदेश जारी किए थे। इसके साथ ही कहा गया था कि निजी स्कूलों को एकमुश्त यदि रे देकर अभिभावकों से ट्यूशन फीस की वसूली करनी होगी। इसके साथ ही अगर अभिभावक निजी स्कूलों किस इसकी अदायगी नहीं करते हैं तो उनके बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। जिसके बाद से लगातार पालक संघ का विरोध में प्रदेश भर में देखा जा रहा है। वहीं पालक संघ की मांग है कि जब तक स्कूल नहीं संचालित नहीं की जाती। तब तक फीस वसूली करना उचित नहीं है।