भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश (madhya pradesh) में पहली लहर के Lockdown के एक साल बाद भी Play schools के लिए कुछ भी नहीं बदला है। जिसके बाद मध्य प्रदेश में प्ले स्कूल (play schools) अपने भविष्य को लेकर चिंता में हैं। Lockdown और Corona की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर इन स्कूलों (MP School) पर हुआ है। पिछले 2 साल से प्ले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपने घरों में है। ऐसे में अब प्ले स्कूलों के भविष्य पर संकट आ गया है।
वहीं कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते। Corona की तीसरी लहर के डर से अभिभावक अपने बच्चों को प्लेस्कूल में प्रवेश दिलवाने से परहेज कर रहे हैं। अभिभावक का कहना है कि वे अपने बच्चों को प्री-नर्सरी का कोर्स घर पर ही पढ़ा सकते हैं ताकि Corona के कारण किसी भी तरह की परेशानी न हो।
कई माता-पिता द्वारा इस वर्ष Playschools प्रवेश लेने से बचने के बाद उनके जीवित रहने की उम्मीद भी मुश्किल में है। माता-पिता ने कहा कि मौजूदा स्थिति ने उन्हें अपने प्री-नर्सरी बच्चों को घर पर पढ़ाने के लिए मजबूर किया है। एक पिता काकहना है कि मैंने महसूस किया है कि बच्चों का उचित अध्ययन कक्षा 1 से ही शुरू होता है। मैं अपने बच्चे को घर पर मूल बातें सिखा सकता हूं, तो मैं अपने बच्चे को प्ले स्कूल में क्यों भेजूं।”
अभिभावकों ने यह भी कहा कि इतनी कम उम्र में बच्चों को स्कूल भेजना बहुत जोखिम भरा है। 4 साल के बच्चे की मां ने कहा कक्षा एक के छात्रों को सिखाया जा सकता है कि कैसे कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना है। मुझे नहीं लगता कि 6 साल से कम उम्र के बच्चे इसे ठीक से समझ सकेंगे।
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एक प्लेस्कूल के मालिक ने अपना नाम बताए बिना कहा महामारी ने भोपाल में खेल के मैदानों को झटका दिया है। पिछले एक साल में 50% से अधिक प्लेस्कूल बंद हो गए हैं और जो चल रहे हैं उन्हें प्लेग्रुप और नर्सरी स्कूलों में नए प्रवेश पाने में मुश्किल हो रही है। महामारी और घर से काम करने वाले कई माता-पिता के कारण परिसरों के बंद होने के साथ राज्य की राजधानी में प्रीस्कूल अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहे हैं।
हालांकि मामले में प्लेस्कूलों का कहना है कि छात्र अपनी कक्षाओं के माध्यम से ही मूल बातें सीखते हैं। आश्चर्य है कि माता-पिता को अब अपने बच्चों को घर पर पढ़ाने का समय कैसे मिल गया है। हमने बच्चों के लाभ के लिए स्कूल खोले हैं। पिछले साल कई स्कूलों ने सफलतापूर्वक ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कीं। छात्रों को प्लेस्कूल में प्रवेश दें और उन्हें मनोरंजन के आधार पर जुड़ने में मदद करें।हालांकि माता-पिता का कहना है कि वे बच्चों को प्ले स्कूल भेजने के बजाय घर पर पढ़ाना पसंद करेंगे।