भोपाल।
उच्चतम न्यायालय द्वारा शुक्रवार 20 मार्च को मध्यप्रदेश की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या कमलनाथ फ्लोर टेस्ट के पहले ही अपना इस्तीफा सौंप देंगे ।दरअसल यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि संख्या बल के हिसाब से अब कांग्रेस बीजेपी से काफी कम संख्या पर खड़ी है। विधानसभा की कुल 230 सीटों में से दो जौरा और आगर मालवा विधायकों की मृत्यु के कारण रिक्त हो गई है और छह सीटें प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिसोदिया, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभु राम चौधरी के त्यागपत्र स्वीकार होने के कारण खाली हो गई हैं ।इस तरह कुल 222 स्थानों पर बहुमत का आंकड़ा 112 है। अगर बंगलुरु में रह रहे 16 विधायकों को भी जोड़ लिया जाए तो खाली स्थानों की संख्या 206 रह जाती है और इस तरह से फिर बहुमत का आंकड़ा 104 पर पहुंच जाता है। बीजेपी के पास वर्तमान में 106 विधायक है और नारायण त्रिपाठी के रूप में एक और विधायक असमंजस की स्थिति में है। वहीं कांग्रेस के पास यह संख्या केवल 92 है और यदि निर्दलीय और नारायण त्रिपाठी को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या केवल 100 पर पहुंचती है ।अभी बीजेपी को इस बात की पूरी उम्मीद है कि फ्लोर टेस्ट के पहले कुछ और विधायक कांग्रेस का दामन छोड़ उसके साथ आ जाएंगे ।ऐसी स्थिति में राजनीति के पंडित मानते हैं कि अब कमलनाथ सरकार का अस्तित्व चंद घंटों का ही मेहमान है और राजनीति के पुराने खिलाड़ी कमलनाथ को भी इस बात का एहसास हो चुका है। इसलिए हो सकता है कि विश्वास मत हासिल करने से पहले ही वे त्यागपत्र दे दे।