मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को मुख्य सचिवालय के कैबिनेट हॉल में बिहार मंत्रिमंडल की अहम बैठक हुई। इस बैठक में कुल 41 एजेंडों को मंजूरी दी गई। सबसे बड़ा फैसला पत्रकारों के लिए आया, जिसमें उनकी पेंशन राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया। इसके अलावा बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन को भी मंजूरी दी गई। वहीं, बिहार राज्य युवा आयोग में 6 पदों के सृजन को स्वीकृति मिली। चुनावी साल में लिए गए ये फैसले सरकार के मास्टर प्लान का हिस्सा माने जा रहे हैं, ताकि विभिन्न वर्गों को साधा जा सके।
बड़े बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट को हरी झंडी
बैठक में राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली। पटना में एम्स एनएच-98 से दीघा रेल-सह-सड़क पुल होते हुए अशोक राजपथ तक अतिरिक्त कनेक्टिविटी के लिए 1,368 करोड़ 46 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई। इसके अलावा छपरा में फ्लाईओवर निर्माण के लिए 696 करोड़ 26 लाख रुपये मंजूर किए गए। पर्यटन विकास के तहत सीतामढ़ी के पुनौरा धाम मंदिर के पास पर्यटकीय सुविधाओं और आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण पर पहले स्वीकृत 120 करोड़ 58 लाख रुपये की राशि को संशोधित कर अब 165 करोड़ 57 लाख रुपये कर दिया गया है।
खेल, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अहम फैसले
खेल के क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए राजगीर खेल अकादमी के लिए 1,100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक स्कूलों के निर्माण के लिए 270 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए। आंगनबाड़ी एवं पोषण योजना 2.0 को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी। स्वास्थ्य सेवाओं में अनुशासन कायम रखने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सरकारी सेवा से अनुपस्थित रहने के आरोप में कुल सात डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया। साथ ही बिहार पशु चिकित्सा सेवा (नियुक्ति एवं सेवा शर्त) संशोधन नियमावली 2025, बिहार अमीन संवर्ग नियमावली 2025 और गन्ना उद्योग विभाग बिहार ईंख सेवा (भर्ती व सेवा शर्त) संशोधन नियमावली 2025 को भी मंजूरी मिली।
चुनावी साल में जनता को लुभाने की तैयारी
कैबिनेट के इन फैसलों से साफ है कि सरकार चुनाव से पहले हर वर्ग को साधने में जुटी है। पत्रकारों, युवाओं, सफाई कर्मचारियों, खिलाड़ियों, शिक्षकों और किसानों से जुड़े फैसले इसी रणनीति का हिस्सा हैं। बुनियादी ढांचे, पर्यटन, खेल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश का मकसद विकास कार्यों को गति देना और जनता का भरोसा जीतना है। चुनावी माहौल में ये कदम न केवल विकास को बढ़ावा देंगे बल्कि सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।





