जिले के किसानों को रबी-खरीफ सीजन में खाद की उपलब्धता कराने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में डीएमओ, कृषि, सहकारी बैंक के अधिकारियों की समिति जिले में खाद की मांग के हिसाब से उपलब्धता का निर्णय लेते हैं। उसके आधार पर डीएमओ खाद निर्माता कंपनियों से खाद खरीदकर सहकारी सोसायटियों में भंडारित कराते हैं, जिसे किसानों को वितरित किया जाता है। लेकिन वर्ष 2019 में खरीफ सीजन के लिए जिला सहकारी बैंक के सीइओ ने सीधे दिव्य ज्योति एग्रो ट्रेड प्राइवेट लिमटेड इंदौर से प्रोम नाम के जैविक खाद का भंडारण सोसायटियों में करा दिया, जिसे किसानों को बेच दिया गया। खाद के मातगुवां सोसायटी से लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आई तो खाद अमानक पाई गई।
कलेक्टर ने माना दोषी
पूर्व कलेक्टर मोहित बुंदस को सोसायटियों द्वारा सीधे निर्माता से खाद लेकर किसानों को बेचेने की शिकायत हुई थी। जिसकी उन्होंने जांच के निर्देश दिए थे। वर्तमान कलेक्टर शीलेन्द्र ने पाया कि जिला सहकारी बैंक की सीइओ केएल रायकवार ने नियम विरुध खाद का भंडारण व वितरण कराया। इस संबंध में उन्होंने जिला पंजीयक सहकारिता को एफआइआर कराने के निर्देश भी दिए हैं। खाद बेचने वालों के खिलाफ तो एफआइआर करा दी गई है, लेकिन जिला सहकारी बैंक ने नियम विर्ध तरीके से खाद भंडारण कराया और बेच दिया, उस मामले में जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी एफआइआर नहीं हो पाई है।
बिना लाइसेंस ही बेच दी खाद
जिले की 113 सहकारी समितियों के जरिए खरीफ 2019 में प्रोम नाम की जैविक खाद की बिक्री सीधे की गई। अमानक खाद की सप्लाई का ठेका कंपनी ने भोपाल स्तर से लेकर जिले में सप्लाई की है। भोपाल स्तर पर कंपनी ने अपनी पकड़ का लाभ उठाते हुए जिले में न केवल अमानक खाद सप्लाई करवा दी, बल्कि बिना लाइसेंस के भी खाद विक्रय किया गया। प्रशासन ने फिलहाल गुणवत्ता को लेकर एफआइआर करा दी है, लेकिन जिला सहकारी बैंक की भूमिका पर कार्रवाई नहीं हुई है।
गुणवत्ता पर कार्रवाई
कृषि विभाग के उप संचालक मनोज कश्यप का कहना है कि अमानक खाद के मामले में मातगुवां थाना में सहकारी समिति और प्रोम निर्माता कंपनी के खिलाफ एफआइआर कराई गई है। जिला सहकारी बैंक द्वारा भंडारण के विषय में गड़बड़ी की जांच व कार्रवाई सहकारी बैंक का मामला है।