OBC आरक्षण मामला: हाई कोर्ट ने 87-13% फार्मूले पर राज्य सरकार से मांगा जवाब

OBC आरक्षण मामले पर आज एक बार फिर HC में सुनवाई हुई, कोर्ट ने राज्य सरकार से 87-13 % फार्मूले पर जवाब मांगा है, कोर्ट ने पूछा सरकार ने क्यों होल्ड रखीं 13% पदों पर भर्तियां ?

OBC reservation case: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर खंडपीठ में आज गुरुवार को शिक्षक भर्ती में होल्ड अभ्यर्थियों की दायर याचिकाओं की विस्तृत सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने 87-13% फार्मूले पर राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए सरकार से पूछा कि 13 प्रतिशत भर्तियां को क्यों होल्ड रखा गया है, क्योंकि हाई कोर्ट का कोई भी ऐसा आदेश नहीं था।

निर्देश देते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो साल 2019 से हुई भर्तियों की जानकारी कोर्ट में पेश करे। हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि शिक्षक भर्ती की द्वितीय काउंसलिंग में याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ ओबीसी वर्ग के एक हजार से अधिक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए है, और न ही लिखित में कोई कारण बताया गया है।

महाधिवक्ता ने कोर्ट में रखा सरकार का पक्ष 

महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शिवम् गौतम की याचिका में दिनांक 04/05/22 को पारित अंतरिम आदेश के कारण ओबीसी वर्ग को नियुक्ति नहीं दी जा रही है, तब इसका जवाब देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शिवम् गौतम की याचिकाएं में पारित अंतरिम आदेश बताया जा रहा है, वह याचिका हाई कोर्ट से डिस्पोज हो चुकी है, एवं उक्त याचिका सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करा दी गई है, जिसमे सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई भी अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया है, बल्कि उक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट में  जिन याचिकाओं से लिंक है उनमे सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बैच द्वारा दिनांक 24/02/2025 को अंतरिम आदेश पारित करके छत्तीसगढ़ राज्य में 58% आरक्षण लागू करने की अनुमति दी गईं है।

मामले पर अगली सुनवाई अब 4 मई को होगी 

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि दोनों राज्यों का विवाद एक समान है, फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश मध्य प्रदेश में क्यों न लागू कर दिया जाए। महाधिवक्ता ने मामले पर सरकार से इंस्ट्रक्शन लेने का समय माँगा है। हाई कोर्ट द्वारा आज अंतरिम आदेश पारित कर कहा गया कि राज्य सेवा की समस्त भर्तियों में भले ही प्रक्रिया समाप्त हो चुकी हो, उन सभी में ओबीसी के 13% पद रिक्त रखे जाए जो याचिकाओ के निर्णय उपरांत निराकृत की जाएगी तथा हाई कोर्ट ने कहा उक्त प्रकरणों में 2019 से अब तक की समस्त भर्तियों से संबंधित तथ्यों को लिखित में दाखिल करे। मामले पर अगली सुनवाई अब 4 मई को नियत की गई है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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