भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश में अब आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम जनजातीय कार्य विभाग होगा| रविवार को जननायक बलिदानी बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की| उन्होंने कहा कि आदिवासी आदिम नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की मुख्य जनजाति है। कुछ लोगों ने जनजातीय भाई-बहनों का नाम आदिम जाति रख दिया है। आज से आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम बदलकर जनजातीय कार्य विभाग किया जाएगा|
बता दें कि इससे पूर्व भी शिवराज सरकार द्वारा आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम बदलकर जनजातीय कार्य विभाग किया गया था| जिसके बाद कमल नाथ सरकार ने फरवरी 2019 में जनजातीय कल्याण विभाग का नाम बदलकर आदिम जाति कल्याण विभाग कर दिया था। अब फिर शिवराज ने इस विभाग का नाम बदल दिया|
धर्मांतरण के कुचक्र को नहीं चलने दूंगा
बिरसा मुंडा की जयंती पर सीएम शिवराज ने कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण के कुचक्र को नहीं चलने दूंगा। सामाजिक न्याय हमारी प्रतिबद्धता है। सेवा कीजिए लेकिन सेवा की आड़ में मुख्य धारा को कुंद करने की साजिश होगी, तो कामयाब नहीं होने दूंगा। उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश में 15 नवंबर को हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
पांच करोड़ रुपये की लागत से बनेगा भव्य स्मारक
शिवराज सिंह ने कहा हम जनजाति नायकों को सम्मान देंगे। हमारी जनजाति परंपरा भारत की मूल परंपरा है। कुछ लोग हमें बांटने की कोशिश कर रहे हैं। हम सब एक हैं। हमारी संस्कृति बहुरंगी है। सरकार सभी की है। सामाजिक समरसता मूल मंत्र है। वर्ग संघर्ष नहीं होने देंगे। हमारा एक वज्र संकल्प है कि मध्य प्रदेश के संसाधनों पर सबसे पहला हक गरीबों का है। जबलपुर में पांच करोड़ रुपये की लागत से भव्य स्मारक बनाया जाएगा।
सभी छात्रावासों में मिलेगा निश्चित प्रवेश
सीएम ने कहा मध्यप्रदेश के खजाने पर सबसे पहला हक गरीबों का होगा। जितने प्रकार के छात्रावास हैं, उसमें एक निश्चित प्रतिशत में हमारे जनजाति बेटे-बेटियों को प्रवेश दिया जायेगा। हमें इन बेटे-बेटियों को समर्थ बनाने के लिए इन्हें शिक्षित करना होगा। प्रतिभाशाली बच्चों की उच्च शिक्षा की फीस को भी हमारी सरकार भरवायेगी।
धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान हो गये
मुख्यमंत्री ने कहा जब तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने अनाप-शनाप टैक्स लगाकर हमारे जनजाति भाई-बहनों के जल, जंगल, जमीन छीनने लगे, चावल-महुआ पर टैक्स लगाया, धर्मांतरण करवाया जाने लगा, तो भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए विद्रोह कर दिया। हम सबका गौरव रानी दुर्गावती, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, भीमा नायक, टंट्या भील जी जैसे जनजाति नायकों ने भी अन्याय के विरुद्ध कभी सिर नहीं झुकाया, हार नहीं मानी। ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंक दिया और धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान हो गये।